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आपदा में अवसरः बेरोजगार युवाओं के चेहरे पर आई मुस्कान, पढ़ें ये कहानी!

IMG 20210610 WA0000 आपदा में अवसरः बेरोजगार युवाओं के चेहरे पर आई मुस्कान, पढ़ें ये कहानी!

बस्तीः कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन लगा और देश का एक बड़ा तबका रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकने लगा। इसमें सबसे ज्यादा संख्या में बेरोजगार युवा थे। लेकिन बस्ती जिले के बहादुरपुर विकासखंड के रहने वाले एक युवक ने बेरोजगारों को मुस्कुराने का एक नया मौका दिया। जहां लोगों के एक ओर रोजगार छूट गए तो वहीं रोशन अली ने कोरोनाकाल में एक नई इबारत लिख दी। शहर से अपने गांव लौटे रोशन ने ग्रामीणों को आपदा में रोजगार उपलब्ध कराने का जुगाड़ बताया।
बहादुर विकासखंड के मटेरा गांव के रहने वाले रोशन अली हैदराबाद में बच्चों की फ्रॉक बनाने वाली फैक्ट्री में काम करते थे। यहां पर उनकी इनकम ठीक-ठाक थी, काम करते-करते अनुभव भी बढ़ गया। मन में ख्याल है कि प्रदेश की जगह अपने देश में क्यों ना इसी कारोबार को शुरू किया जाए और उनके इस इरादे को अवसर में बदल दिया। उन्होंने अपने गांव में ही इसी कारोबार को शुरू कर दिया। जिसके बाद गांव में बच्चों के फ्रॉक बनाने वाली फैक्ट्री डाल दी गई। रोशन अली ने अपने काम में उन महिलाओं और युवकों को भी जोड़ना शुरु कर दिया जिन को रोजगार की तलाश थी। अपने पैसे से लोगों की सिलाई मशीन खरीद कर दिया। इसके बाद वह घर में ही फ्रॉक बनाने लगीं।
रोशन बताते हैं कि फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री डालने के बाद धीरे-धीरे उनका व्यापार बढ़ने लगा। गांव के आसपास के लोग क्षेत्रों में फ्रॉक की अच्छी खपत होने लगी। डिमांड बढ़ी तो रोशन अली ने उसका दायरा भी बढ़ाया और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा। गांव के ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिया।
रोशन बताते हैं कि गांव की महिलाओं को तो रोजगार मिला ही, साथ में जिले के नगर बाजार मैदान, गोविंदापुर, जलालपुर, बहादुर सहित कई गांव की महिलाएं और युवा उनसे जुड़ते चले गए। इस दौरान उन्होंने सिलाई का प्रशिक्षण भी दिया और फ्रॉक बनाने का हुनर भी सिखाया। अब वह फैक्ट्री का हिस्सा बन चुके हैं।
रोशन की फैक्ट्री से जुड़े महिलाएं और पुरुष प्रतिदिन 300 से 500 रुपए की आमदनी कमा लेते हैं और 10 रुपए रोज के हिसाब से रोशन अली द्वारा दी गई मशीन का किराया भी चुकाते हैं।
रोशन अली बताते हैं कि फैक्ट्री से बने फ्रॉक यूपी, उड़ीसा, असम, कोलकाता, बिहार तक की सप्लाई की जा रही है। रोशन अली बताते हैं कि फ्रॉक बनाने के लिए कच्चा माल मुंबई से आता है। एक महिला एक दिन में 40 से 50 फ्रॉक आसानी से बना लेती हैं। साथ ही वह अपने घऱ का काम भी निपटा लेती हैं।

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