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ढह गया झूठ का पुल, हाथ से गई नौकरी, यहां पढ़ें इंजिनियर संजय शर्मा का सबसे बड़ा झूठ

ठह गया झूठ का पुल, हाथ से गई नौकरी, यहां पढ़ें इंजिनियर संजय शर्मा का सबसे बड़ा झूठ

लखनऊः पावर कॉरपोरेशन में तैनात इंजिनियर संजय शर्मा पर और क्लर्क महेशा कुमार पर बड़ी कार्रवाई की गई है। इन पर लाखों रूपए रिश्वत लेने का आरोप है। पावर कॉरपोरेशन चेयरमैन एम देवराज ने सख्ती से कार्रवाई करते हुए इन कर्मचारियों को बर्तास्त कर दिया और साथ ही एक इंजीनियर को डमोट कर दिया है।

दरअसल, नोएडा में तैनाती के दौरान अधिशासी अभियंता संजय शर्मा ने साल 2019 के अक्तूबर महीने में 54 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। इस दौरान रिश्वत की रकम को ऑफिस में तैनात कलर्क ने पॉवर कॉरपोरेशन के खाते में जमा करवा दिया था। जब रकम के बाटने की बारी आई, तो पता चला की रिश्वरत की राशि को गलती से पावर कॉरपोरेशन के खाते में जमा करवाया गया है।

झूठ के पुल बांधने से भी नहीं बची नौकरी

संजय शर्मा का पहला झूठ

रिश्वत की जब पोल खुली तो जवाब दिया गया कि ये रकम उपभोक्ताओं ने एडवांस में जमा करवाई है। लेकिन इतनी बड़ी रकम एडवांस के रूप में जमा करवाने की बात पेट में पची नहीं , जिसके बाद मामले की जांच शुरू की गई। जांच में सामने आया कि जितने उपभोक्ताओं की संख्या बताई गई है, अगर उतने उपभोक्ता रकम एडवांस जमा कराते हैं तो भी उतनी रकम पूरी नहीं होती है। साथ ही इस एडवांस अमाउंट की कोई रसीद भी नहीं कटी थी।

संजय शर्मा का दूसरा झूठ

अपने झूठ को छिपाने के लिए संजय ने एक और झूठ बोला और फर्जी एफिडेबिट तैयार कर दिया। इसमें 30 उपभोक्ताओं के नाम थे। जांच में सामने आया कि ये सभी एफिडेबिट एक ही जगह से बनाए गए थे। शपथ पत्र में लिखी एडवांस रकम को जब जोड़ा गया तो ये रकम कुल 31.50 लाख रुपए ही पाई गई। इस पूरे मामले में क्लर्क महेश कुमार की भूमिका संदिग्ध और नियम विरुद्ध पाई गई, जिसके बाद उन्हें भी बर्खास्त कर दिया गया।

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