नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का निर्णय अा आ गया है, हिलेरी क्लिंटन को हराकर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति होंगे है। कट्टरपंथी विचार धारा के समर्थक माने जाने वाले ट्रंप से भारत को कई मामलों मे फायदा हो सकता है, ऐसा भी माना जा रहा है कि ट्रंप के सत्ता मे आने के बाद से कट्टर इस्लामिक आतंकी ताकतों को रोकने में काफी मदद मिल सकती है। आइए आपको बतातंे हैं कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भारत को किनकिन मामलों में फायदा हो सकता है।
भारत का करते रहे हैं समर्थन- अपने राष्ट्रपति चुनाव के प्रचारों के दौरान ट्रंप भारत के समर्थन में संबोधन करते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी नारे का अपने चुनाव प्रचार के दौरान ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ नारे का उन्होने इस्तेमाल किया था। इसके साथ ही उन्हांेने कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की है। अपने प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वो हिंदुत्व और भारतीय समाज के समर्थक हैं और जब वें राष्ट्रपति बनेंगे तो भारत के साथ संबंधों को और ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास करेंगे।
पाकिस्तान की बढेंगी मुश्किलें- पूरा विश्व आतंकवाद की समस्या से जूझ रहा है, ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचारके दौरान पाकिस्तान पर कई बार निशाना साधा था, ट्रंप कट्टर इस्लामी आतंकवाद की खिलाफत करते रहे हैं, इसके साथ ही उन्होंने कई बार ट्रंप ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर चिंता जताई थी। ट्रंप ने अपने बयान में कहा था कि पाकिस्तान एक अस्थिर देश है और पाकिस्तानियों के पास परमाणु हथियारों का होना दुनिया के लिए चिंता का विषय है। अपने एक बयान में उन्होंने यह भी कहा था कि अगर मैं राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान को उसके गलतियों की सजा दूंगा।
चीन को लेकर ट्रंप ने जाहिर किए थे कड़े रुख- पाकिस्तान के करीबी माने जाने वाले देश चीन का लेकर भी टंªप ने कई बार अपने कड़े रुख दुनिया के सामने रखे थे। आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के सामने बेनकाब होने के बावजूद भी पाकिस्तान को चीन ने अपना समर्थन दिया था। ट्रंप कई बार अपने चुनावी सभाओं के दौरान इस बात को रख चुके हैं कि चीन को अमेरिका के पर्यावरण और मजदूरी स्तर को सुधारने के लिए अमेरिका के सामने झुकना ही पड़ेगा, चीन हमारे व्यापार खोज को चुराता है और बाजार को सस्ते सामन देकर हमारे व्यापार को खराब करता रहा है, उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति बनने के बाद मैं ऐसे कदम उठाऊंगा जिससे कि चीन को नियमों के हिसाब से चलना पड़ेगा। हालांकि हिलेरी भी चीन का कई मुद्दों पर विरोध करती रही हैं।