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देश में पहली बार किसी महिला को लगेगी फांसी, आखिर क्या है पूरा मामला

देश में पहली बार किसी महिला को लगेगी फांसी, आखिर क्या है पूरा मामला

अमरोहा: आजादी के बाद भारत में कई बड़े बदलाव हुए, लेकिन आज तक कभी किसी महिला को फांसी नहीं हुई थी। यह रिकॉर्ड भी जल्द ही टूटने वाला है।

सात लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या

दरअसल यह पूरी कहानी अमरोहा की शबनम के इर्द-गिर्द घूमती है। इस महिला ने अपने परिवार के 7 लोगों को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया। इस कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे फांसी की सजा दी थी।

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यह घटना अप्रैल 2008 की है। इस हत्याकांड में शबनम की मदद उसके प्रेमी ने भी की थी। इन दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस वारदात में शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर माता-पिता सहित परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी।

13 साल बाद होगी फांसी  

परिवार के 7 लोगों की दर्दनाक हत्या के बाद सजा के लिए शबनम और उसके प्रेमी सलीम को काफी इंतजार करना पड़ा। आखिर 13 साल बाद दोनों को फांसी होगी। पिता शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम प्रेम में अंधी हो गई थी।

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राष्ट्रपति ने दया याचिका की खारिज

शबनम और उसके प्रेमी सलीम ने भारत के राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही दोनों की फांसी अब तय मानी जा रही है। भारत के राष्ट्रपति के पास किसी भी नागरिक को जीवन दान देने का अधिकार होता है। इसी के आधार पर शबनम ने दया याचिका दायर की थी, लेकिन इसे अब खारिज कर दिया गया है।

मथुरा में 150 साल पहले बना महिला फांसी घर

उत्तर प्रदेश के मथुरा में पहला महिला फांसी घर डेढ़ सौ साल पहले बनाया गया था। दिलचस्प बात यह रही कि आज तक कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। पहली बार अमरोहा हत्याकांड मामले के दोषी शबनम को यहां फांसी दी जाएगी। आजाद भारत की यह पहली ऐसी घटना होगी।

दया याचिका खारिज होने के बाद जेल प्रशासन ने पूरी तैयारी शुरू कर ली है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी। फांसी घर का भी निरीक्षण किया जा रहा है, जिससे किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े। इस मामले में पहले स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी आदेश को सही माना।

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