लखनऊ: यूपी में पंचायत चुनावों की तैयारियों जोरो पर है। सभी दलों ने अपनी अपनी खींचतान शुरु कर दी है। मार्च में होने वाले पंचायत चुनावों से ही 2022 का गणित फिट करने की तैयारी है। गोरतलब है कि पंचायत चुनावों के परिणाम से 2022 की मोटामाटी तस्वीर सामने आ जाएगी। इसी बीच पंचायत चुनाव को लेकर आज वार्डों के आरक्षण की नई नीति जारी हो सकती है। ग्राम प्रधानों व ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए चक्रानुक्रम आरक्षण लागू हो सकता है। इसके अलावा बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्र में आरक्षण में बदलाव संभव है।
ग्राम प्रधान, क्षेत्र व जिला पंचायत सदस्यए जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के पदों के आरक्षण के लिए एक पखवाड़े से माचा-पच्ची चल रही है। इस बार प्रदेश में 57,207 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। वर्ष 2015 में ग्राम पंचायतों में आरक्षण को शून्य मानकर चक्रानुक्रम से शुरुआत की गई थी। इस बार चक्रानुक्रम में आरक्षण पिछली बार से आगे बढ़ेगा।
बता दें कि 25 दिसंबर को ग्राम प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। इस बार प्रदेश में 57,207 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। 2015 में किसी ग्राम पंचायत में प्रधान पद एससी के लिए लागू था तो इस बार उसे आरक्षित नहीं किया जाएगा। ग्राम पंचायतों की सूची में अंकित किया जाएगा कि 1995 में कौन सी ग्राम पंचायत किस वर्ग के लिए आरक्षित थी।
यह प्रावधान लागू किया जा सकता है कि यदि 2015 में किसी ग्राम पंचायत में प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए लागू था तो इस बार उसे एससी के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा। इसी तरह यदि कोई ग्राम पंचायत पिछली बार ओबीसी के लिए आरक्षित थी तो इस बार पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित नहीं की जाएगी।
आरक्षण के लिए प्रत्येक ब्लॉक में अनुसूचित जाति, पिछड़े और सामान्य वर्ग की आबादी अंकित करते हुए ग्राम पंचायतों की सूची अकारादि (अ, आ, इ, ई…) क्रम में बनाई जाएगी। इसमें अंकित किया जाएगा कि वर्ष 1995 में कौन की ग्राम पंचायत किस वर्ग के लिए आरक्षित थी।