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किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, हो रही कोरोना फैलने की आशंका

सुप्रीम कोर्ट

किसान आंदोलन पिछले 42 दिनों के जारी है. किसान एक महीने के ऊपर समय से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और किसानों की संख्या काफी ज्यादा है. राजधानी की सीमाओं पर न सिर्फ पंजाब बल्कि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान भी हैं. जिसके चलते संख्या काफी बड़ी है. वहीं कोरोना के इस काल में जहां लोगों को बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिये कहा जा रहा है. उसी बीच किसानों का यूं इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होना एक बड़ी चिंता है. इसी को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है.

सुप्रीम कोर्ट ने जाहिर की चिंता
कोरोना को लेकर जुटे आंदोलनकारकी किसानों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि बड़े पैमाने पर होने वाले जमावड़े को लेकर सरकार को विशेष दिशानिर्देश जारी करने चाहिए. मार्च के महीने में तबलीगी मरकज में लोगों के जमा होने से बीमारी फैलने का उदाहरण देते हुए कोर्ट ने यह बात कही है.

चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ उस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें तबलीगी मरकज में बड़े पैमाने पर लोगों के जमा होने की जांच की मांग की गई है. याचिका में यह कहा गया है कि दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की भूमिका की जांच की जानी चाहिए.

इस याचिका पर अब तक सुप्रीम कोर्ट ने औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया था. आज कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी किया और सरकार से घटना पर ब्यौरा देने के लिए कहा. इसी दौरान टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या दिल्ली की सीमा पर जमा किसानों को कोरोना से कोई विशेष सुरक्षा हासिल है? केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है.

तबलीगी मरकज का दिया उदाहरण
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें नहीं लगता कि आंदोलन कर रहे लोग कोरोना को लेकर कोई विशेष सावधानी बरत रहे हैं. समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए. इस तरह लोगों का जमा होना वैसी ही स्थिति को जन्म दे सकता है, जैसा तबलीगी मरकज में हुआ था.

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