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भाई दूज पर चित्रगुप्त की पूजा, जानें विधि और शुभ मुहूर्त

चित्रगुप्त की पूजा

भाई दूज के पावन पर्व के साथ ही आज के दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती हैं. चित्रगुप्त हिंदुओं के प्रमुख देवता माने जाते हैं. पुराणों के मुताबिक, चित्रगुप्त अपने दरबार में मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा कर न्याय करते थे. व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए यह दिन नए साल की शुरुआत जैसा होता हैं. इस दिन नए बहीखातों पर ‘श्री’ लिखकर कार्य शुरू किया जाता हैं.

भाई को भोजन कराने पर बढती हैं आयु

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अगर चचेरी, ममेरी, फुफेरी या कोई भी बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी आयु बढ़ती हैं. साथ ही जीवन के कष्ट भी दूर होते हैं.

कौन हैं चित्रगुप्त महाराज

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था. इनका कार्य प्राणियों के कर्मों का हिसाब किताब रखना हैं. मुख्य रूप से इनकी पूजा भाई दूज के पवन पर्व पर होती हैं. इनकी पूजा से लेखनी, वाणी और विद्या का वरदान मिलता हैं.

जानें पूजा विधि

पूजा के स्थान को साफ करके एक कपड़ा बिछा कर वहां चित्रगुप्त जी की फोटो रखें. दीपक जला कर गणेश जी को चंदन, रोली, हल्दी, अक्षत लगा कर पूजा करें. चित्रगुप्त जी को भी चन्दन, रोली, हल्दी, अक्षत लगा कर पूजा करें. इसके बाद फल, मिठाई, पान सुपारी और दूध, घी, अदरक, गुड़ और गंगाजल से बने पंचामृत का भोग लगाएं.

आय और व्यय का भी दें विवरण

अब परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम की पूजा कर चित्रगुप्त जी के सामने रख दें. इसके बाद एक सफेद कागज पर स्वस्तिक बना कर उस पर अपनी आय और व्यय का विवरण देकर उसे चित्रगुप्त जी को अर्पित कर पूजन करें.

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

16 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 45 मिनट से दोपहर 2 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. विजय मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से दोपहर 2 बजकर 36 मिनट तक हैं. आप इनमें से किसी भी समय चित्रगुप्त महाराज की पूजा कर सकते हैं.

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