नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पिछले कई महीनो से तनाव का माहौल बना हुआ था। जिसके चलते दोनों देशों की सेनाएं बॉर्डर पर डटीं हुई थीं। जब से दोनों देशों में तनाव शुरू हुआ हैए तब से भारत और चीन के बीच 8 बार सैन्य कमांडर की बैठक हो चुकी है। लेकिन किसी में बातचीत के दौरान कोई हल नहीं निकला था। अभी 6 नवंबर को दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर की 8वीं दौर की वार्ता शुरू हुई थी। जिसमें तीन चरणीय प्लान पर सहमति बनाई है। दिवाली के आसपास बॉर्डर से राहत की खबर आ सकती है। दोनों देशों की सेनाएं चरणबद्ध तरीके से हटेंगी। अगर ऐसा होता है तो दिवाली से पहले देशवासियों के लिए एक बहुत बड़ी खबर होगी।
झील इलाके को पहले हफ्ते में किया जाएगा खाली-
बता दें कि अप्रैल महीने के बाद से ही चीन सीमा पर तनाव की स्थिति बरकरार थी। चीनी सेना ने इस दौरान कई भारतीय पेट्रोलिंग प्वाइंट पर कब्जा किया था, लेकिन समयबद्ध तरीके से भारतीय जवानों ने चीन को जवाब दिया। भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर जारी तनाव दिवाली से पहले खत्म हो सकता है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच लद्दाख बॉर्डर पर फिंगर इलाके में सैनिकों को हटाने पर सहमति बन सकती है। भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से सीमा विवाद को लेकर वार्ता हो रही थी। अब दोनों देश चरणबद्ध तरीके से फिंगर इलाके, पैंगोंग झील क्षेत्र को खाली कर अपनी पुरानी स्थिति पर पहुंचने के लिए राजी हो गए हैं। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पैंगोंग लेक के नॉर्थ और साउथ इलाके में सैनिकों को हटाने पर सहमति बन गई है, जिसमें पैंगोंग झील इलाके को पहले हफ्ते में खाली किया जाएगा, साथ ही टैंक, सैनिकों को वापस भेजा जाएगा. दूसरे स्टेप में दोनों ही सेनाएं पैंगोंग इलाके के पास से हर रोज अपने 30 फीसदी सैनिकों को हटाएंगी। तीन दिनों तक ये प्रक्रिया जारी रहेगी। इस दौरान चीनी सेना फिंगर 8 के पास वापस लौटेगी, तो वहीं भारतीय सेना अपनी धान सिंह थापा पोस्ट पर आएगी।
इनकी अगुवाई में सीमा पर भारतीय जवानों ने कई पहाड़ियों पर कब्जा किया-
इस प्रक्रिया के तीसरे स्टेप में दोनों ही सेनाएं पैंगोंग झील इलाके के साउथ क्षेत्र से अपनी सैनिकों को हटाएंगी। साथ ही चुशूल, रेजांग ला की जिन पहाड़ियों पर तनाव के वक्त कब्जा किया गया था, उन्हें खाली किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया की दोनों ही सेनाएं निगरानी करेंगी, जिसपर सहमति बन चुकी है। सुरक्षा से जुड़े मसले पर पीएम मोदी की भरोसेमंद टीम, जिसमें एनएसए अजित डोभाल, CDS बिपिन रावत, सेना प्रमुख मनोज नरवाणे, वायुसेना चीफ आरकेएस भदौरिया शामिल रहे. इनकी अगुवाई में सीमा पर भारतीय जवानों ने कई पहाड़ियों पर कब्जा किया था।