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प्राणायाम करने से क्या होगा लाभ, आइए जानें

Pranayama
  • भारत खबर ||  नई दिल्ली

प्राणायाम Pranayama करने से हमारे जीवन में क्या लाभ होता है। अथवा हम प्राणायाम Pranayama क्यों करें। इस विधि के बारे में हमें जानना बेहद आवश्यक है। क्योंकि Pranayama करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है। बताते चलें कि प्राणायाम को आयुर्वेदाचार्य ने मन मस्तिष्क और शारीरिक औषधि का नाम दिया है।

प्राचीन आयुर्वेदाचार्य महर्षि चरक ने वायु को मन का नियंता एवं प्रणेता माना है। हमारे शरीर में वायु के भीतर नाभि पटल तक जाकर वापस बाहर आने की प्रक्रिया को आयुर्वेद में प्राणायाम की संज्ञा दी गई है। और प्राणायाम Pranayama से हमारे शरीर के सारे रोग नष्ट होते हैं व हमारा शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है।

Pranayama

प्राणायाम करने से हमारे शरीर में ऊर्जा बनीं रहती है। हमारा मन-मस्तिष्क शुद्धता से परिपूर्ण होता है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमारी दैनिक क्रियाओं पर भी पड़ता है। हमारा शरीर मन- मस्तिष्क तेजमान व गतिमान बना रहता है।

आयुर्वेचार्यों के मतानुसार मानव शरीर के समस्त रागों को आयुर्वेद में लिखें प्राणायाम के माध्यम से नष्ट किया जा सकता है । इसी के साथ साथ अपने शरीर में व अपनी दैनिक क्रियाओं में सकारात्मक ऊर्जा का समावेश किया जा सकता है।

बताते चलें कि योगकुडल्योपनिषद के अनुसार नित्य प्रातः प्राणायाम Pranayama करने से  हमें बेहद लाभ की प्राप्ति होती है। हमारा शरीर आनंद में रहता है। योगकुडल्योपनिषद के अनुसार प्राणायाम के माध्यम से गुल्म, जलोदर, प्लीहा तथा पेट से संबंधित सभी रोगों को पूर्ण रूप से नष्ट किया जाता है।

प्राणायाम के माध्यम से व्यक्ति अपने सभी गर्मी दोषों को भी नष्ट कर सकता है । Pranayamaकरने से आपका मस्तिष्क को सदैव ऊर्जावान बना रहता है। पित, ज्वर, प्यास का अधिक लगना भूख का ना लगना, मस्तिष्क में गर्मी बानना, मन का अत्यंत विचलित रहना इन सभी रोगों से छुटकारा मिल सकता है।

Pranayama

आइए जानें प्राणायाम Pranayama करने की पाँच विधियाँ

बाह्म प्राणायाम :  प्राणायाम करने की महत्वपूर्ण विधि मानी जाती है। प्रतिदिन लगभग 10 बार बाह्य प्राणायाम करने से मन की चंचलता आपसे बेहद दूर होती है। आपके भीतर पैदा होने वाले विकारों से आपको छुटकारा मिलता है व आपकी जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है। उदर रोग नष्ट होता है।

पूरक :  वायु को स्वास्थ्य के जरिए अनियंत्रित गति से भीतर लाने की क्रिया पूरक कहलाती है। तेजी से वायु के अंदर जाने व बाहर निकलने की प्रक्रिया में लय अथवा उसकी समानता का होना आवश्यक है। यह प्रक्रिया बेहद लाभकारी है।

रेचक :  प्राणायाम करते हुए जो सांस हम अंदर की ओर खींचते हैं। सांस के जरिए जो वायु हमारे शरीर के भीतर जाती है। उसे धीमी-धीमी अनियंत्रित गति में बाहर छोड़ने की प्रक्रिया को रेचक कहते हैं।

कुंभक :  प्राणायाम करते समय अपने भीतर स्वास्थ्य को वायु को एक नियमित समय तक रोकने की प्रक्रिया को कुंभक के नाम से जाना जाता है। इस क्रिया के अनुसार शरीर के विकार तत्व स्वांस के जरिए बाहर निकल जाते हैं।

भस्त्रिका : प्राणायाम करते समय लगभग 10 मिनट भस्त्रिका प्राणायाम करने से हमारे शरीर के अवयव शुद्ध हो जाते हैं। सर्दी, जुखाम व स्कीन से संबंधित रोगों का निवारण हो जाता है। मस्तिष्क को एक दिव्य ऊर्जा की प्राप्ति होती है। हमारा शरीर दुरुस्त रहता है।

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