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मंदिर जमीन पर अवैध मल्टी स्टोरी पार्किंग पर विवाद 

panjbakhtar temple मंदिर जमीन पर अवैध मल्टी स्टोरी पार्किंग पर विवाद 

पंजबख्तर मंदिर की जमीन पर सरकारी एजेंसियों  ने टेंडर जारी किए

Panchbakhtar Temple2 मंदिर जमीन पर अवैध मल्टी स्टोरी पार्किंग पर विवाद 

भारत खबर, जम्मू कश्मीर-भारत खबर

मंदिर ट्रस्ट की जमीन पर अवैध तरीके से मल्टी स्टोरी पार्किंग पर विवाद उत्तपंन हो गया है। मंदिर की जमीन पर अवैघ तरीके से पार्किंग बनाने को लेकर टेंडर जारी किए हैं। मंदिर ट्रस्ट ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को प़त्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के आदेशों पर ट्रस्टी बनाए पूर्व रजिस्ट्रार जनरल सुरेश शर्मा ने पत्र में आरोप लगाया कि नगर निगम जम्मू, जम्मू विकास प्राद्यीकरण, जम्मू कश्मीर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने गैर कानूनी तरीके से टेंडर जारी किया है। मंदिर का इतिहास संदियों पुराना है और अलग से ट्रस्ट है। मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने का सरकारी एजंेंसियों के पास कोई अधिकार नइीं है। टेंडर निकालने से आम लोगों की आस्था पर आहत हुई हैं।

pmandir1 1 मंदिर जमीन पर अवैध मल्टी स्टोरी पार्किंग पर विवाद मंदिर जमीन हड़पने के आरोप
जम्मू। पंजबख्तर मंदिर भगवान शिव का एतिहासिक है । मंदिर कनाल जमीन को हड़पने के आरोप लगाए जा रहे हैं। पूर्व रजिस्ट्रार जनरल सुरेश शर्मा ने भारत खबर को बताया कि कुछ साल पहले भी मंदिर के मंहत की गद्दी को लेकर झगड़ा हुआ था। मामला कोर्ट तक पहुंचा और हाईकोर्ट ने उन्हें मंदिर का ट्रस्ट का जिम्मा सौंपा। उस समय वी जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार जनरल पद पर थे। अब सरकारी एजंेंसियों ने मंदिर की 25 जमीन पर मल्टी पार्किंग बनाने का टेंडर निकाला है। इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए उन्होंने उपराज्यपाल को पत्र भी लिखा है और कहा है कि ट्रस्ट की भूमि पर किसी प्रकार का कोई कब्जा नहीं किया जा सकता है।

14 वीं शताब्दी में हुआ मंदिर का निर्माण 
जम्मू। पंजबख्तर मंदिर जम्मू शहर के प्रचलित रघुनाथ मंदिर के नजदीक है। इसे रुपये वाला मंदिर भी कहते हैं। मंदिर परिसर के प्रांगण में रुपये के सिक्के जड़े हुए हैं। मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में हुआ था। बताया जाता है कि इसके पांच मुुख हैं और इसका संबंध दशनामी अखाड़े से है। इसमें ब्रिटिश साम्राज्य के महारानी विक्टोरिया के सिक्के जड़े हुए हैं। यह भी बताया जाता हैकि आदि शंकराचार्य भी इसी मंदिर में कुछ पल के लिए रूके थे।

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