मसूरी में उत्तराखंड आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व उत्तराखंड वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंडियों को अपने पुश्तैनी हक़-हकूकों को लेने के लिये राज्य आन्दोलन की तरह पुन: एक नए आंदोलन के लिए सरकारों द्वारा मजबूर किया जा रहा हैं।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेजों ने भी वनों में निवासित लोगों के अधिकारों पर कुठाराघात नहीं किया था, लेकिन आज़ादी के बाद जंगलों पर आश्रित अरण्यजनों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया है।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकारों के लिये संघर्षरत ताक़तों को आज एकजुटता की आवश्यकता है।उन्होंने आन्दोलन के अगले चरण की भी घोषणा की और कहा कि राज्य आन्दोलन के शहीदों और पितरों को श्रद्धांजलि व तर्पण तभी सफल होगा, ज़ब हम अपने वनाधिकारों को ले लेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 8 सितम्बर से आन्दोलन के अगले चरण में हरिद्वार में बिजली और पानी के बिलों को गंगा जी में प्रवाहित किया जायेगा और उससे पहले बिजली विभाग व पेयजल निगम के दफ़्तरों पर धरना देकर बिजली-पानी के बिलों की होली जलाई जायेगी।
हरिद्वार के बाद हर जिला मुख्यालय पर यह आन्दोलन किया जायेगा। यदि सरकारों ने माँगों को स्वीकार नहीं किया तो अगला चरण असहयोग आन्दोलन का होगा, उसका स्वरूप बाद में घोषित किया जायेगा।
उपाध्याय ने कहा कि आन्दोलनकारी साथियों के सुझाव पर आन्दोलन का नाम वनाधिकार आन्दोलन से परिवर्तित कर उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस कर दिया गया है। शीघ्र ही संगठन के सांगठनिक स्वरूप की घोषणा की जायेगी।
उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस की माँग:-
- उत्तराखंडियों को केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय,
- प्रतिमाह एक गैस सिलेंडर, बिजली और पानी निशुल्क दिया जाय।
- जड़ी-बूटियों पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो,
- शिक्षा व स्वास्थ्य सेवायें निशुल्क हों,
- एक यूनिट आवास बनाने हेतु लकड़ी
- बजरी व पत्थर निशुल्क दिया जाय
- जंगली जानवरों द्वारा जन हानि पर 25 लाख रू. क्षतिपूर्ति व परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाए
- फसल के नुक़सान पर प्रतिनाली रु 5000/- क्षतिपूर्ति दी जाय और राज्य में अविलम्ब चकबंदी की जाय।