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पटना एम्स में हुए कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के बाद जाने क्या हुआ, कुल 9 लोगों को दी गई थी डोज

592661 patna aiims पटना एम्स में हुए कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के बाद जाने क्या हुआ, कुल 9 लोगों को दी गई थी डोज

पटना एम्स में देसी कोरोना वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ का ट्रायल शुरू हो गया है। तीन दिन पहले पटना एम्स में इसका ट्रायल शुरू हुआ।

पटना: पटना एम्स में देसी कोरोना वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ का ट्रायल शुरू हो गया है। तीन दिन पहले पटना एम्स में इसका ट्रायल शुरू हुआ। यहां एक महिला सहित कुल नौ लोगों को वैक्सीन की डोज दी गयी है। डोज देने के बाद उन्हें कुछ देर तक विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की निगरानी में सभी को रखा गया। फिर सबको घर भेज दिया गया। इसी कड़ी में शुक्रवार को हरियाणा के रोहतक पीजीआइ में तीन लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गयी। इस तरह जिन 12 लोगों पर अब तक ट्रायल हुआ, उन पर किसी पर साइड इफेक्ट नहीं देखने को नहीं मिला है।

बता दें कि वैसे भी यह वैक्सीन निष्क्रिय है, इसलिए इसके दुष्प्रभाव की आशंका नहीं के बराबर है। पटना एम्स के नोडल पदाधिकारी डॉ सीएम सिंह ने बताया कि जिन लोगों को वैक्सीन का डोज दिया गया है, उनको दूसरा डोज 14 दिनों के बाद दिया जायेगा। उसके बाद निगरानी में रख कर रिजल्ट देखा जायेगा।

पटना एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सीएम सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम इस ट्रायल का अध्ययन करेगी। अध्ययन 194 दिनों में पूरा होगा। इस टीम में हिंदुस्तान बायोटेक के सदस्यों के साथ पटना एम्स के भी डॉक्टर हैं। दरअसल, देश में कुल 1,125 लोगों पर स्टडी होनी है, जिसमें से 375 पहले फेज में हैं। दूसरे फेज में 750 लोग हैं। पूरी प्रक्रिया पर आइसीएमआर की नजर है, क्योंकि यहीं पर डेटा का विश्लेषण होगा।

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14 शहरों में इंसानों पर ट्रायल को मंजूरी

इस वैक्सीन का ट्रायल देशभर में 14 रिसर्च इंस्टीट्यूट में किया जाना है। पटना, रोहतक के अलावा नयी दिल्ली, हैदराबाद, विशाखापत्तन, कानपुर, गोरखपुर, भुवनेश्वर, चेन्नई और पणजी भी इसमें शामिल हैं।

कब तक आयेगी लगेगा एक साल

क्लिनिकल ट्रायल के प्रोटोकॉल के अनुसार पहले फेज में एक महीना लगेगा। उससे मिले डेटा को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के सामने पेश किया जायेगा, फिर अगली स्टेज की इजाजत मिलेगी। फेज एक व दो में कुल मिला कर एक साल और तीन महीने का वक्त लगेगा।

सेफ्टी एंड स्क्रीनिंग पर किया गया है फोकस

शुरुआती डोज कम रहेगी। ट्रायल में यह देखा जायेगा कि वैक्सीन देने से किसी तरह का खतरा तो नहीं है, उसके साइड इफेक्ट क्या हैं। लिवर व फेफड़ों पर पड़नेवाले प्रभाव की भी जांच होगी। इसलिए पहले फेज को ‘सेफ्टी एंड स्क्रीनिंग’ कहा गया है।

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