नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते भारतीय बंदरगाहों पर पिछले तीन महीने में बाहर से आए लोगों को अभी तक भारतीय जमीन पर नहीं उतरने दिया है। वो करीब 20 हजार जहाज है, जिसमे यात्रियों और चालक दल के सदस्यों समेत करीब 63 हजार लोग सवार हैं। इन्हें 30 अप्रैल तक भारतीय जमीन पर पांव नहीं रखने दिया है। नौवहन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 27 जनवरी से 30 अप्रैल तक भारतीय बंदरगाहों पर बाहर से करीब 1,990 जहाज़ों ने लंगर डाला है।
अधिकांश जहाज चीन से आए हैं
बता दें कि इन सभी की डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के निर्देशों के अनुसार थर्मल स्कैनिंग की गई है। कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू प्रोटोकॉल के तहत इन लोगों को तटीय पास या दैनिक पास जारी नहीं किए गए हैं, इसके साथ ही आयात-निर्यात के कार्गो को सावधानी से चढ़ाया-उतारा गया है। इन जहाजों में से 1,621 जहाज प्रमुख बंदरगाहों पर पहुंचे हैं। इन्हें आयात-निर्यात के कार्गो उतारने के लिए इन बंदरगाहों पर तय किए गए स्थानों पर लंगर डालने की इजाजत दी गई है।
https://www.bharatkhabar.com/firing-between-north-korea-and-south-korea-after-five-years/
इन जहाजों पर सवार 63,000 लोगों में से 56,000 लोग प्रमुख बंदरगाहों पर पहुंचे हैं। भारत में 12 प्रमुख बंदरगाह हैं, इनमें दीनदयाल (पुराना नाम कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मोरमुगांव, न्यू मंगलौर, कोचिन, चेन्नई, कामराजार (पुराना नाम एन्नोर), वी ओ चिदंबरनार, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित) शामिल हैं। इन बंदरगाहों ने 2019-20 में लगभग 70.5 करोड़ टन (MT) कार्गो को चढ़ाया-उतारा।
नौवहन मंत्रालय ने बंदरगाहों का सुचारू संचालन बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें किराये में छूट देना शामिल है। सरकार ने सभी प्रमुख बंदरगाहों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि किसी भी उपयोगकर्ता (व्यापारी, शिपिंग लाइन, कंसेसनरीज, लाइसेंसी आदि) से कोई जुर्माना, शुल्क, किराया आदि नहीं लिया जाए।