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हर मुश्किलों में अफ्रीका के साथ है भारत: प्रणब मुखर्जी

Pranab हर मुश्किलों में अफ्रीका के साथ है भारत: प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारत और घाना के मौजूदा रिश्तों के संचालन में बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर मुश्किल की घड़ी में भारत अफ्रीका के साथ है। अक्करा में घाना विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने दोनों देशों के रिश्तों को एक नया एवं सकारात्मक रूप देने के साथ ही उज्जवल, अभिनव और अद्यतन बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने दोनों देशों के युवाओं पर भरोसा जताते हुए कहा कि इनके सहयोग से हमारे रिश्ते और मजबूत होकर नई ऊंचाइयों तक जाएंगे।

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राष्ट्रपति मुखर्जी का यह बयान राजधानी दिल्ली में हाल ही में अफ्रीकी नागरिकों पर हुए कथित हमलों को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अपने पूरे बयान में उन्होंने अफ्रीकी देशों के साथ भारत के पूराने संबंधों का जिक्र किया। राष्ट्रपति ने भारत-घाना रिश्तों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि घाना विश्वविद्यालय के छात्रों और अध्यापकों को भारत द्वारा प्रदान की जा रही छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण के अवसरों का फायदा उठाना चाहिए। 2015 में आयोजित भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने अफ्रीकी देशों के छात्रों को विशेष छात्रवृत्ति देने की घोषणा की थी। इसके अलावा राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच कृषि, बॉयोटेक्लोलिजी तथा अन्य क्षेत्रों में भी भागीदारी को बढ़ाने पर बल दिया।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों देशों के विकास के रास्ते में कई चुनौतियां है। इसमें गरीबी, आतंकवाद, पर्यावरण का ख्याल रखते हुए सतत विकास, लोकतंत्र प्रणाली को मजबूत करना, लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाना, युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए दोनों देशों को कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहिए। इस चुनौती भरी यात्रा में एक दोस्त और एक साझेदार की तरह भारत आपके साथ है।

संयुक्त राष्ट्र में सुधार और परिवर्तन को जरूरी बताते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित हुआ संयुक्त राष्ट्र तेजी से बदल रही अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों को सामना करने में नाकाम साबित हुआ है। इसलिए यह आवश्यक है कि संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं को बदलते समय के साथ तालमेल बनाकर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर विसंगति है कि दुनिया और अफ्रीका के हर छठे नागरिक का घर होने एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक हब होने के बावजूद भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता नहीं मिली है।

घाना में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि उनके इस दौरो का मकसद यह संदेश देना हैं कि भारत हमेशा अफ्रीका के साथ खड़ा है। इस अवसर पर मैं घाना के लोगों और सरकार को आश्वासन देना चाहता हुं कि भारत-घाना की भागीदारी स्थायी है और आपसी हित और विकास के लिए भारत घाना के साथ काम करता रहेगा।

अफ्रीका के साथ भारतीयों की पुरानी मित्रता को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि समय के साथ यह रिश्ता प्रगाढ़ होता चला गया। राष्ट्रपति के तौर पर अफ्रीका के तीन देशों का उनका दौरा आकस्मिक नहीं है। कुछ दिनों पहले उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ट्यूनीशिया और मोरक्को का दौरा किया था और जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चार-पांच अफ्रीकी देशों का दौरा करेंगे।

उन्होंने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत का व्यापार 70 अरब डॉलर से अधिक है और निवेश भी करीब 35 अरब डॉलर है। घाना और दूसरे अफ्रीकी देशों के साथ भारत की मित्रता का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वषरें में घाना को कई परियोजनाओं के लिए 40 करोड़ डॉलर का रियायती कर्ज प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देश घाना भारत की मित्रता एवं सहयोग पर सदा ही भरोसा कर सकता है।

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