- संवाददाता, भारत खबर
नैनीताल। भारत की हवाओं में जहर घोलन वाले तमाम कारकों पर शोध करते हुए वैज्ञानिकों ने आखिर उस तह तक पहुंच बना ही ली जिससे यहां की हवाएं दूषित हो रहीं हैं। आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा खुलासा किया है जिसे सुनकर आपके कान खड़े हो जाएंगे।
वैज्ञानिकों के अनुसार यहां पर प्रदूषण फैलाने वाली हवाओं सिर्फ हमारे देश में व्याप्त कमियों की वजह से नहीं बल्कि इसके लिए यूरोप और अफ्रीका जैसे महाद्वीपों की ओर से आने वाली हवाएं भी उतना ही जिम्मेदार हैं।
यह शोष हमारे देश की हवाओं को परिष्क्रित करने के लिए बेहद जरूरी है और यह शोध एरीज में हाल ही में कार्य शुरू करने वाले विश्व के पहले 206.5 मेगा हर्ट्ज फ्रीक्वेंसी वाले स्ट्रेटोस्फियर-ट्रोपोस्फीयर (एसटी) रडार के माध्यम से पूरा किया जा सका है।
आपको बतादें कि यह रडार क्षैतिज और लंबवत दोनों दिशाओं में 18 किमी दूरी तक वायुमंडल का अध्ययन करने में सक्षम है। बताया जा रहा है कि इस राडार से यह भी पता लगाया जा सकता है कि ओजोन परत का क्षरण कितना हो रहा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस राडार के द्वारा भारत के वायुमंडल में होने वाली कई सूक्ष्म गतिविधियों को भी हम कैप्चर कर सकते हैं।