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पूर्व विधायक पवन पाण्डे को अदालत ने भेजा जेल, बाबरी विध्वंस मामले में हुई सुनवाई

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प्रयागराज। पूर्व विधायक और हाल ही में सुलतानपुर से लोकसभा की दावेदारी करने में असफल होने वाले पवन पाण्डे को बाबरी विध्वंस के आरोपियों को शरण देने के आरोप में जेल भेज दिया। 24 वर्ष पूर्व में दर्ज किया गया था जिसमें प्रयागराज की सांसद विधायक स्पेशल कोर्ट ने गैर जमानतीय वारंट समेत कुर्की की नोटिस भी जारी किया था।
कोर्ट में सरेंडर करने के बाद पवन पांडेय की ओर से जमानत के लिये अर्जी भी दी गयी थी, लेकिन लगातार अदालत के आदेश की अवहेलना करने से नाराज स्पेशल कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है।
लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज मुकदमा में पवन पांडे पर आरोप था कि उन्होंने लक्ष्मी शंकर की मौत के आरोपितों को बचाने के लिये उन्हें अपने पास छिपाया था और उस दौरान वह शिवसेना के बड़े नेता था और अपनी हनक पर आरोपियों को शिवसेना कार्यालय अकबरपुर में छिपा कर पनाह दी थी।
पुलिस वहां से किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी तो इस मामले में 29 अक्टूबर 1995 के लखनऊ के हजरतगंज थाने में विजय कुमार यादव ने पवन पांडेय पर रिपोर्ट दर्ज करायी थी। गौरतलब है कि बीएसपी शासनकाल के दौरान मंत्री रहे अंगद यादव के निर्माणाधीन मकान के दौरान रास्ता का विवाद हो गया था। आरोप है कि इस दौरान अंगद यादव के साथ आये असलहाधारियों ने फायरिंग की जिसमें लक्ष्मी शंकर यादव की मौत हो गयी थी। इस मामले में अंगद आदि को पनाह देने के मामले में पूर्व विधायक पवन कुमार पांडेय पर मुकदमा लिखा गया था। पवन पांडेय के खिलाफ धारा 216 के आरोप में रिपोर्ट दर्ज की गई। स्पेशल कोर्ट में आया मुकदमा पुलिस ने इस मुकदमे की चार्जसीट दाखिल की तो लखनऊ कोर्ट में मुकदमें की सुनवाई शुरू हुई। वर्ष 2001 में पवन पाडेंय के विरूद्ध अदालत ने गैर जमानतीय वारंट जारी किया, लेकिन वह हाजिर नहीं हुये और पिछले 17 साल से एक बार भी पवन पांडेय ने जमानत नहीं करायी। इन दिनों यह मुकदमा स्पेशल कोर्ट पहुंचा और सुनवाई शुरू हुई तो पवन पाडेंय ने पूर्व का रवैया ही इस अदालत के प्रति भी अख्तियार किया। जिस पर स्पेशल कोर्ट ने गैर जमानतीय वारंट के साथ कुर्की की नोटिस जारी की थी। जिस पर मंगलवार को पवन पांडेय ने खुद को कोर्ट में सरेंडर किया। कोर्ट की न्यायिक अभिरक्षा में लगभग ढाई घंटे रहने के बाद पाडेंय की जामनत याचिका पर सुनवाई हुई।

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