उत्तराखंडः सूबे में बीते दिनों उठे स्टिंग के बवाल पर सत्ता के गलियारों से लेकर प्रशासनिक अमले में सन्नाटा पसरा हुआ था।इस मामले में एक निजी समाचार चैनल के सीईओ समेत कई अन्य के नाम एफआईआर तक दर्ज की और सीईओ को गिरफ्तार करवा कर सरकार ने कोर्ट में पेश भी करा दिया।लेकिन जब अन्य आरोपियों की इस मामले में गिरफ्तार को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी जारी की तो अब सूबे की रावत सरकार बैकफुट पर आती दिखाई दे रही है।
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बीते दिनों शनिवार की रात देहरादून पुलिस ने स्टिंग के मामले में उमेश जे कुमार की गाजियाबाद से गिरफ्तारी की।इस मामले में उमेश जे कुमार के साथ चैनल में काम करने वाले एक व्यक्ति ने ही एफआईआर दर्ज कराई थी।मामला सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों से जुड़ा था।मामला एक सनसनीखेज स्टिंग की रूपरेखा का था।तो सरकार ने एक्शन लेते हुए तुरंत गिरफ्तारी करा दी।
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उक्त मामला जब हाईकोर्ट के दहलीज पर पहुंचा तो सरकार को तगड़ा झटका लगा है।इस झटके के बाद अब सरकार ने ये स्वीकार किया है कि स्टिंग का कोई विरोध नहीं है।लेकिन इसके पीछे की मंशा क्या है ये गलत है।अब जहां नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले में सह आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए साफ किया है कि प्रदेश से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ऐसे स्टिंग की जरूरत है। राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों को बेनकाब करने के लिए ये सही कदम है।
आपको बता दें कि इस पूरे प्रकरण पर सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नें मीडिया से बातचीत में कहा कि स्टिंग का कोई विरोध नहीं है।विरोध इस बात का है कि स्टिंग करने के पीछे मकसद क्या है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टिंग करने का उद्देश्य साफ होना चाहिए। स्टिंग करने वाले की मंशा साफ होनी चाहिए ।