सीएसआईआर द्वारा विकसित पटाखे परम्परागत पटाखों की तुलना में 15-20 प्रतिशत सस्ते हैं। परियोजना में शामिल एनईईआरआई दल में 80 प्रतिशत महिला वैज्ञानिक हैं। ई-लड़ी, ई-अनार, ई-पटाखे जैसे उत्पादों के साथ ई-पटाखे विकसित पटाखों की आवाज और उत्सर्जन परीक्षण लिए भारत में पहली बार उत्सर्जन परीक्षण सुविधा स्थापित की है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसकी जानकारी दी है।
सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने कम प्रदूषण फैलाने वाले ऐसे पटाखे विकसित किये हैं जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि परम्परागत पटाखों की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत सस्ते हैं। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।इन पटाखों को सेफ वॉटर रिलीजर (स्वास), सेफ मिनिमल एल्युमिनियम (सफल) और सेफ थर्माइट क्रैकर (स्टार) नाम दिया गया है।
मंत्री ने पटाखों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय पटाखा उद्योग की कुल वार्षिक बिक्री 6,000 करोड़ रुपये है। और यह 5 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर प्रदान करता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सीएसआईआर के इस प्रयास का उद्देश्य प्रदूषण से जुड़ी चिन्ताओं को दूर करने के साथ ही इस व्यापार में लगे लोगों की आजीविका की रक्षा करना है।
डॉ. हर्षवर्धन ने पटाखों में और सुधार करने के लिए उठाए गये अनेक कदमों की जानकारी दी। भारत में पहली बार सीएसआईआर-एनईईआरआई में उत्सर्जन परीक्षण सुविधा स्थापित की गई है। साथ ही उत्सर्जन और आवाज की निगरानी के लिए परम्परागत व हरित पटाखों का विस्तृत परीक्षण चल रहा है।
सीएसआईआर क्या है
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), भारत सार्वजनिक रूप से निधिबद्ध विश्व के विशालतम अनुसंधान एवं विकास संगठनों में से एक प्रमुख राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संगठन है। वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय मानव संसाधन विकास के लिए सीएसआईआर के अग्रणी सतत योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। सीएसआईआर का एक प्रभाग, मानव संसाधन विकास समूह (एचआरडीजी) इस उद्देश्य को विभिन्न अनुदानों, फेलोशिप स्कीमों आदि के माध्यम से साकार करता है ।