featured देश भारत खबर विशेष

जानिए आखिर क्यों बापू ने हाथ में झाड़ू उठाकर देश को स्वच्छ बनाने का लिया था संकल्प

जानिए आखिर क्यों बापू ने हाथ में झाड़ू उठाकर देश को स्वच्छ बनाने का लिया था संकल्प

नई दिल्ली: बापू के जिस स्वच्छता अभियान को भारत सरकार आज चला रही है, उसकी प्ररेणा बापू को 1915 के हरिद्वार कुंभ में मिली थी। गोपाल कृष्ण गोखले की सलाह पर अफ्रीका से आने के बाद बापू देशाटन करते हुए पहली बार हरिद्वार पहुंचे थे। उस समय चल रहे कुंभ मेले में देश की भीषण गरीबी और हरिद्वार की गंदगी देखकर बापू दंग रह गए। यहां से लौटते ही बापू ने स्वयं झाड़ू उठाकर देश को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया था।

 

gandhi ji जानिए आखिर क्यों बापू ने हाथ में झाड़ू उठाकर देश को स्वच्छ बनाने का लिया था संकल्प

 

ये भी पढें:

 

उत्तराखंडःराष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर अल्मोड़ा में जागरुकता रैली निकाली
उत्तराखंडः महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर 8 कैदियों को रिहा किया जाएगा

 

ब्रिटिश सत्ता के जुल्मों से जूझती गरीब जनता की बेबसी और धर्म की ताकत को बापू ने पहली बार हरिद्वार में ही जाना था। देश दर्शन करते हुए उत्तर भारत की ओर निकले बापू का आकर्षण हरिद्वार कुंभ था और गंगा पार गुरुकुल चलाकर शिक्षा की क्रांति फैला रहे स्वामी श्रद्धानंद भी थे।

वे महामना मालवीय द्वारा उन दिनों हरिद्वार में चलाए जा रहे गंगा रक्षा तथा बांध विरोधी आंदोलन को भी देखना चाहते थे। बापू हरिद्वार के बाजारों की गंदगी देखकर व्यथित हो उठे। बाद में उन्होंने अपने पत्र हरिजन में लिखा कि हरिद्वार की गलियां जूठी पतलों और जूठे दौनों के भरी पड़ी है। उन्होंने लिखा की संकरी गलियां होने के कारण स्वच्छता को कोई भी प्रबंध नहीं है। बापू ने हरिद्वार और कनखल के धनाढ्य महंतों से मिलकर हरिद्वार को स्वच्छ रखने का आग्रह किया। उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद से निवेदन किया कि वे हरिद्वार में मांस और शराब कभी न बिकने दें।

 

बापू फिर 1916 और 1929 में भी हरिद्वार आए। उन्होंने गंगा पर गुरुकुल में ब्रह्मचारियों के समक्ष व्याख्यान भी दिया। बापू ने स्वामी श्रद्धानंद से देश की आजादी के बार में गहन मंत्रणा की। बापू जब दूसरी बार गुरुकुल आए, तब स्वामी श्रद्धानंद ने उन्हें महात्मा की उपाधि से अलंकृत किया। बापू ने तीसरी बार हरिद्वार आकर एक बार फिर गंदगी का जायजा लिया। उसी समय बापू ने उत्तराखंड में यात्रियों के लिए आवासीय क्रांति लाने वाले काली कमलीवाले बाबा रामनाथ से मुलाकात की।

 

उन्हीं से बापू ने उत्तराखंड के धामों में स्वच्छता बनाने का आग्रह किया। इस धर्मनगरी में बापू ने तीनों बार अपना सफर घोड़े-तांगे में किया। इस नगरी में बापू की पहली प्रतिमा दो वर्ष पूर्व लगाई गई। यद्यपि गांधी मार्ग बहुत पहले से बना हुआ है।

 

ये भी पढें:

 

दिल्ली: छात्रों का आधार डाटा मांगने वाला सर्कुलर वापस लेगी केजरीवाल सरकार
उत्तराखंडः फुटबॉल एसोसिएशन के चुनाव में हंगामे के बीच कार्यकारिणी का गठन हुआ

By: Ritu Raj

Related posts

आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में जहरीली गैस लीक होने 7 लोगों की मौत, 3000 लोग रेस्क्यू

Rani Naqvi

लौट आया ईयर कफ का फैशन, ऐसे करे ट्राई

mohini kushwaha

ASEAN-India Summit 2023: 6 सितंबर को जकार्ता जाएंगे पीएम मोदी, आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में लेंगे भाग

Rahul