उत्तराखंडः मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में भारत रत्न पं.गोविन्द बल्लभ पंत की 131वीं जयंती के अवसर पर उनको श्रद्धासुमन अर्पित किये। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नैनीताल में उनकी जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस मौके पर शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में पंडित बल्लभ पंत के योगदान को याद किया।
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आपको बता दें कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर1887 को अल्मोड़ा के खूंट गांव में हुआ था। पंत की प्रारम्भिक शिक्षा अपने नाना के यहां अल्मोड़ा में ही हुई। उनके पिता मनोरथ पन्त के देहांत के बाद उनकी परविश उनके नाना बद्री दत्त जोशी ने की थी।पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने 1905 में अल्मोड़ा छोड़ दिया और उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद चले गए।
पंत को विश्वविद्यालय की ओर से ‘लैम्सडेन अवार्ड’ से नवाजा गया था
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1907 में बी.ए. और 1909 में कानून की डिग्री सर्वोच्च अंकों के साथ प्राप्त की है। इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से ‘लैम्सडेन अवार्ड’ से नवाजा गया। लेकिन उनके मन में अपनी जन्मभूमि को लेकर बेहद लगाव था। इसलिए गोविन्द बल्लभ पंत ने 1910 में अल्मोड़ा लौटकर वकालत प्रारम्भ की।
पंत ने अपनी वकालत छोड़कर असहयोग आंदोलन में भाग लिया था
गौरतलब है कि 1920 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया तो पंत ने अपनी वकालत छोड़कर असहयोग आंदोलन में भाग लिया।
बाद में वह काशीपुर नगर पालिका का अध्यक्ष चुना गया। गौरतलब है कि 1947 में भारत का अपना संविधान बनने के बाद संयुक्त प्रान्त का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश हो गया। जिसके पंत पहले मुख्यमंत्री बने।