नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने वाली धारा 377 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही सुनवाई
मामले की सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार ने पीठ से मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था, लेकिन बाद में कहा था कि वह दो वयस्क लोगों में सहमति से बनाए संबंध को अपराध की श्रेणी में बनाए रखने या नहीं रखने का फैसला कोर्ट के विवेक पर छोड़ती है। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा था कि धारा 377 के अंतर्गत नाबालिगों और जानवरों के साथ अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है और वैसे ही बनाए रखना चाहिए।