सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले पर एक नजर डालते है। देखते हैं पीठ के जजों ने क्या क्या कहो…..
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का फैसला
-कोर्ट को लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर ही संविधान का व्याख्यान करना होगा. राज्य के तीनों अंग संविधान से जुड़े हैं. लिहाजा कोर्ट का फैसला संविधान की भावना पर आधारित होना चाहिए.
-मदद और सलाह के संदर्भ में सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत बेहद अहम है.
-केन्द्र और राज्य को संघीय ढांचे का पालन करने की जरूरत है
-शाब्दिक व्याखान से ज्यादा अहम संदर्भ व्याख्यान है.
-केन्द्र-राज्य संबंध में दिल्ली की विशेष जगह है, दिल्ली का लेफ्टिनेंट गवर्नर किसी अन्य राज्य के गवर्नर की तरह नहीं है.
-लेफ्टिनेंट गवर्नर मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह से बंधा है. हालांकि उसे संविधान की धारा 239 एए के तहत मामले को राष्ट्रपति के संदर्भ हेतु भेजने का अधिकार है. लेफ्टिनेंट गवर्नर स्वतंत्र रूप से फैसला नहीं ले सकता और उसे मंत्रि-परिषद की मदद और सलाह से ही फैसला करने की जरूरत है.
-लेफ्टिनेंट गवर्नर को मंत्रिपरिषद के साथ सामंजस्य बनाकर काम करने की जरूरत है.
-संविधान के मुताबिक मंत्रिपरिषद को अपने फैसले की सूचना लेफ्टिनेंट गवर्नर को देनी है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि मंत्रिपरिषद लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन है.