सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले पर एक नजर डालते है। देखते हैं पीठ के जजों ने क्या क्या कहो…..
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का फैसला
-संवैधानिक झगड़ों से लोकतंत्र के लचीलेपन का परीक्षण होता है.
-संविधान की व्याख्या संवैधानिक नैतिकता पर ही आधारित होनी चाहिए
जनता की संप्रभुता, शासन का लोकतांत्रिक तरीका और धर्मनिरपेक्षता संविधान का अभिन्न अंग है. संविधान का मूल ढांचा घटकों की शक्तियों पर कुछ प्रतिबंध लगाता है.
-मदद और सलाह का सिद्धांत सामूहिक लोकतंत्र की संवैधानिक अवधारणा को मजबूत करता है.
-लोकतांत्रिक शासन में वास्तविक शक्ति और जिम्मेदारी चुने हुए प्रतिनिधियों में निहित है.
-संविधान की धारा 239 एए की व्याख्यान में कोर्ट को लोकतांत्रिक भावना को आगे बढ़ाना है
-संविधान की धारा 239 एए के तहत ‘कोई मुद्दा’ कोई तुच्छ मुद्दा नहीं हो सकता. ऐसा करने पर शासन करना संभव नहीं होगा
-लेफ्टिनेंट गवर्नर को यह समझने की जरूरत है कि वह खुद नहीं बल्कि मंत्रिपरिषद पर मौलिक फैसलों का दायित्व है.