नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में शाम उठे सियासी सैलाब के बाद भाजपा और पीडीपी की 3 साल की सरकार टूट गई। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। वहां पर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। ऐसे में किसी की सरकार बनती नहीं दिख रही थी। राज्यपाल नरेन्द्र बोरा ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट देर शाम राष्ट्रपति भवन भेज दी थी। इस रिपोर्ट में सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए प्रस्ताव था। जिस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगा दी है।
भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटा
जम्मू-कश्मीर में उठे सियासी तूफान के बाद सूबे में भाजपा और पीडीपी की गठबंधन सरकार गिर गई। इस गठबंधन सरकार के टूटने के बाद पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य था कि अमन शांति के साथ आम कश्मीरी लोगों के प्रति नरमी बरती जाए। इसके साथ ही पाकिस्तान से बिगड़ते रिश्ते सुधारे जा सकें।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर सरकार में भाजपा के मंत्रियों की एक बैठक दिल्ली में बुलाई थी। इस मीटिंग के बाद आतंकवाद, हिंसा की घटनाओं में वृद्धि और मुफ्ती सरकार की सोच को देखते हुए पार्टी ने गठबंधन से नाता तोड़ लिया। इस बावत राजधानी दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राममाधव ने प्रेस को सम्मोधित करते हुए कहा आतंकवाद, हिंसा की घटनाओं को देखते हुए मुफ्ती सरकार के रवैए के बाद भाजपा के पास पीडीपी से नाता तोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
भाजपा और पीडीपी के बीच 2015 में हुए विधान सभा चुनावों के बाद गठबंधन हुआ था। हांलाकि दोनों पार्टियों के बीच वैचारिक मतभेद शुरूआत से ही था। रमजान में सीजफायर और फिर हिंसा के बाद चारों तरफ से केन्द्र सरकार पर दबाव बना हुआ था। चुनाव में भाजपा को 25 सीटें और पीडीपी को 28 सीटें मिली थीं। बीते 10 सालों में चौथी बार सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है।