नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए खाप पंचायतों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका के आधार पर कहा है कि कोई भी पंचायत या जनसभा दो बालिगों की मर्जी से की गई शादी में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता क्योंकि अब से इस गैरकानूनी माना जाएगा। बता दें कि इससे पहले फरवरी में हुई सुनवाई में ऑनर किलिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों को तगड़ी फटकार लगाई थी। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि चाहे वे पैरेंट्स हों, समाज हो या कोई और वे सब इससे अलग हैं। किसी को भी चाहे वे कोई एक शख्स हो या फिर एक ज्यादा से लोगों का समूह उन्हें बालिगों की शादी में दखल देने का कोई हक नहीं है।
इससे पहले जनवरी में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि बालिग लड़का या लड़की अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। कोई पंचायत, खाप पंचायत, पैरेंट्स, सोसायटी या कोई शख्स इस पर सवाल नहीं उठा सकता। कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार खाप पंचायतों पर बैन नहीं लगाती तो कोर्ट को एक्शन लेना होगा। बता दें कि कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी की पिटीशन पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में मांग की गई थी कि इस तरह के अपराधों पर रोक लगनी चाहिए। उत्तर भारत खासतौर पर हरियाणा में कानून की तरह काम कर रही खाप पंचायतें या गांव की अदालते परिवार की मर्जी के खिलाफ साजिश करने वालों को सजा देती है।
आपको बता दें कि खाप एक सोशल-एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम है। एक गोत्र या जाति के लोग मिलकर एक खाप-पंचायत बनाते हैं, जो पांच या उससे ज्यादा गांवों की होती है। इन्हें कानूनी मान्यता नहीं है। इसके बावजूद गांव में किसी तरह की घटना के बाद खाप कानून से ऊपर उठ कर फैसला करती हैं। खाप पंचायतें देश के कुछ राज्यों के गांवों में काफी लंबे वक्त से काम करती रही हैं। हालांकि, इनमें हरियाणा की खाप पंचायतें कुछ अलग पहचान रखती हैं। कहा जाता है कि खाप की शुरुआत हरियाणा से ही हुई थी।