नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के साथ मन की बात की। हर महीने के आखिरी रविवार को होने वाली पीएम मोदी की मन की बात का ये 42वां संस्करण है। पीएम मोदी ने अपने मन के बात कार्यक्रम की शुरूआत देशवासियों को रामनवमी की बधाई देकर की। पीएम ने कहा कि आज रामनवमी के पवित्र पर्व पर मैं देशवासियों को हार्दिक शुभकानाएं देता हूं। पीएम ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि पूज्य बापू के जीवन में राम नाम की कितनी अहमियत थी ये हम सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि इस साल 26 जनवरी के अवसर आए 10 आसियान देशों के प्रमुख अपने साथ अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लाए थे, जिनमे ज्यादातर देशों ने मंच पर रामायण का मंचन किया था। इससे ये जाहिर होता है कि भगवान राम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि समूचे दक्षिण एशिय में पूजनीय हैं।
संस्कृत का ऑन लाइन कोर्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कोमल ठक्कर नाम के व्यक्ति की तरफ से आए संस्कृत के ऑन लाइन कोर्स शुरू करने पर अपनी राय रखी। पीएम मोदी ने बताया कि उन्हें कैसे कोमल जी के संस्कृत के प्रति प्रेम देखकर कितना अच्छा लगा है। पीएम ने कहा कि मैंने सम्बंधित विभाग से इस ओर हो रहे प्रयासों की जानकारी आप तक पहुंचाने के लिए कहा है। ‘मन की बात’ के श्रोता जो संस्कृत को लेकर कार्यरत रहते हैं, वो भी विचार करें कि कोमल जी के सुझाव को कैसे आगे बढ़ाया जाए।
पीएम ने किया उनको लिखे पत्रों का जिक्र
पीएम मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों से उनके लिए लिखे जाने वाले पत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि जब मुझे आपके पत्रों को पढ़ने को मिलता है कि कैसे असम के करीमगंज के एक रिक्शा चालक अहमद अली ने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर गरीब बच्चों के लिए नौ स्कूल बनवाए हैं। इस पत्र को पढ़कर मुझे अदम्य इच्छाशक्ति के दर्शन होते हैं। इसके अलावा पीएम ने कानपुर के डॉक्टर अजीत मोहन चौघरी के पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि उनके पत्र में उनकी कहानी सुनने को मिली की कैसे वो फुटपाथ पर जाकर गरीबों को देखते हैं और उन्हें मुफ्त में दवा देते हैं।
पीएम ने कहा कि कानपुर के अजीत मोहन की कहानी जानकर देश के बन्धु-भाव को महसूस करने का अवसर मिलता है। पीएम ने बताया कि जब उत्तर प्रदेश की एक महिला अनेकों संघर्ष के बावजूद 125 शौचालयों का निर्माण करती है और महिलाओं को उनके हक के लिए प्रेरित करती है तब मातृ-शक्ति के दर्शन होते हैं।