नई दिल्ली। व्हिस्की में विष्णु बसे रम में बसे श्री राम। जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान।। सियापत रामचंद्र की जय ये शब्द थे समाजवादी के राज्यसभा में सारथी रहे उत्तर प्रदेश के बड़बोले नेता नरेश अग्रवाल के जिसके बाद भाजपा समेत सभी हिन्दुवादी संगठनों ने नरेश अग्रवाल पर कार्रवाई को लेकर जमकर हंगामा किया था।एक समय था कि जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई नोटबंदी हुई या फिर विधानसभा चुनाव यहाँ तक की जीएसटी को लेकर भी नरेश अग्रवाल लगातार मोदी सरकार पर तंज और निशाना कसते नज़र आए। हर मोर्चे पर नरेश अग्रवाल लगातार भाजपा का विरोध कर अपना समाजवादी होने का हक़ अदा करते रहे।
कभी मुलायम के ख़ास रहे तो परिवार में हुई महाभारत पर पाला बदला और अखिलेश के पाले में आकर गिर गए । लेकिन नरेश की गणित राज्यसभा को लेकर ख़राब हो गई । जब हिन्दी सिनेमा की बीते ज़माने की अभिनेत्री और सदी के महानायक अमिताभ की पत्नी और राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की दशकों से मेम्बर रही जया बच्चन के नाम पर पार्टी ने मुहर लगा दी।समाजवादी पार्टी के समाजवाद से फिर नरेश का मन टूट गया ।
कांग्रेस के खुले विकल्प को लेकर क़यासों का बाज़ार गरम था लेकिन नरेश ने दम तोड़ती कांग्रेस का सहारा करना मुनासिब ना समझा क्योंकि अपनी राजनीति की डूबती नाव को ऐसे सहारे में टिकाना राजनीति के पुराने खिलाड़ी को इसलिए रास ना आया क्योंकि ख़ुद कांग्रेस का अस्तित्व शून्य था बसपा में नरेश के लिए कोई अवसर ना था क्योंकि मायावती ख़ुद राज्यसभा के लिए राजद की ओर देख रही हैं। ऐसे में नरेश अग्रवाल को अपनी राजनीति की बिसात सजाने के लिए भाजपा के सहारे की बड़ी ज़रूरत थी। इसलिए भाजपा में नरेश अग्रवाल पूरी कुंनबा लेकर आ गए।
पीयूष शर्मा