पटना। बिहार के चंपारण में गांधी जी द्वारा जमींदारी प्रथा के खिलाफ चलाए गए आंदोलन को 100 वर्ष पूरे हो चुकें हैं। इसी उपलक्ष्य में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी चंपाराण पहुंचे। इस दौरान सीएम ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चंपारण आंदोलन की इतिहास में उपेक्षा हुई है और जिस तरह से इस आंदोलन ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को दिशा दी, उस तरह से इसे उचित स्थान नहीं मिला। सीएम ने कहा कि गांधी जी 1917 में चंपारण आते हैं और 30 वर्ष बाद देश को आजादी मिल जाती है, लेकिन इतने बड़े आंदोलन के साथ इतिहास ने न्याय नहीं किया। सीएम ने कहा कि इस आंदोलन का स्वंतत्रता के तौर पर जितना योगदान था, वैसा स्थान इसे इतिहास ने नहीं दिया।
मुख्यंंमंत्री ने कहा कि जमींदारी प्रथा का तो उन्मूलन हो गया है, लेकिन मानसिकता अब भी ठीक नहीं हुई है। नीतीश ने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले समय में बंटाई पर खेती करने वाले भी नहीं मिलने वाले क्योंकि जिस तरह से शिक्षा का प्रसार हो रहा है उससे बंटाईदारों के बच्चों का फोकस बदल रहा है। सीएम ने कहा कि पटना में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान में पिलर बनाने की घोषणा की, जिसमें गांधी से जुड़ी चीजों को दर्शाया गया।
वहीं इस दौरान उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बटाईदारों को और अधिकार व सुविधाएं मिलनी चाहिए। स्वामित्व तो जमीन मालिकों के पास ही रहे, लेकिन खेती करने वाले बंटाईदारों को सहूलियत-सुविधा मिले। राज्य को इस पर विचार करना होगा। उन्हें खेती के साधनों को लेकर सुविधा देनी होगी। कृषि में अपार संभावना है। यह गांवों की आर्थिक सूरत बदलने की क्षमता रखता है। उनके चंपारण आने के मात्र 11 महीने बाद ही एग्रेरियन बिल पारित करना पड़ा। किसानों को तीनकठिया के साथ विभिन्न करों से मुक्ति मिली।