नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के चर्चित मेडिकल कॉलेड प्रवेश घोटाले में जांच के घेरे में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस नारायण शुक्ला से न्यायिक कामकाज वापस ले लिया गया है। शुक्ला के खिलाफ ये कार्रवाई इन हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद की गई है, जिसके बाद उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई का रास्ता भी साफ माना जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट के हरि झंडी दिखाए जाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस नारायण शुक्ला पर महाभियोग चलाने का रास्ता साफ हो गया है
दरअसल लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज को सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017-18 के सत्र में प्रवेश लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बावजूद हाईकोर्ट के जज शुक्ला की पीछ ने मेडीकल कॉलेज को इस साल छात्रो के प्रवेश को अनिमति दे दी थी। इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जज शुक्ला पर लगे आरोपों की इन हाउस जांच प्रक्रिया अपनाते हुए तीन न्यायाधीशों की जांच समिति बनाई थी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में जस्टिस शुक्ला पर लगे आरोपों को सही बताया गया है। वहीं महाभियोग की प्रक्रिया में जज को पद से हटाने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है। लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए प्रस्ताव पर 100 सांसदों के हस्ताक्षर होना चाहिए जबकि राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षरित प्रस्ताव की जरूरत होती है।
प्रस्ताव के बाद आरोपों की जांच के लिए सदन के अध्यक्ष भारत के प्रधान न्यायाधीश से मशविरा करके तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करते हैं जो कि आरोपी जज पर लगे आरोपों की जांच करती है। जांच में जज को कदाचार का दोषी पाए जाने पर सदन में महाभियोग पर बहस होती है। कुछ वर्ष पहले कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग चला था लेकिन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही जस्टिस सेन ने पद से इस्तीफा दे दिया था।