नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के पांच विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद ये पहला मौका है जब दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली की जनता खड़ी नजर नहीं आ रही है, जिसके बाद 20 विधायकों की चिंता बढ़ गई है कि वो चुनाव जीत पाएंगे के नहीं। सूत्रों के मुताबिक यही कारण है, जिसके चलते पार्टी उपचुनाव से बचना चाह रही है। आपको बता दें कि इस मामले को लेकर चुनाव आयोग ने फाइल राष्ट्रपति के पास 19 जनवरी को भेजी थी। उसी दिन से आप ये आरोप लगा रही है कि हमें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है।इस फैसले के विरोध में पार्टी अदालत भी गई है। हालांकि अभी तक राहत तो नहीं मिली है, लेकिन अदालत ने ये जरूर कहा है कि अभी उपचुनाव की घोषणा न करें।
इस दल का एक ही आरोप है कि उसे बात रखने का समय नहीं दिया गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार यह सब उपचुनाव को टालने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि दिल्ली में इस समय माहौल आप के समर्थन में नहीं है।चिंता इस बात की भी है कि अगर उपचुनाव में पार्टी हार गई दो साल बात 2020 में होने वाले उपचुनाव पर भी इसका असर पड़ेगा। पार्टी के नेता इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि सत्ता में आने के बाद से लगातार मंत्रियों और विधायकों पर लग रहे आरोपों से पार्टी की छवि बुरी तरह प्रभावित हुई है। बिजली पानी पर सब्सिडी देकर जनता को अधिक समय तक नहीं भरमाया जा सकता है।
दूसरी ओर केंद्र से सीधी लड़ाई के चलते दिल्ली में विकास कार्य ठप हैं। कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट में भी सामने आया है कि अयोग्य किए गए विधायकों को जनता की सहानुभूति नहीं मिल रही है। बता दें कि दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका तब लगा था, जब ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद हो गई थी। आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग के फैसले को मंजूरी दे दी थी। सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी थी।