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कश्मीरी पंडित अब स्वयं को बतायेंगे गुरू तेग बहादुर पंथी

Kashmiri Pandit

नई दिल्ली। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब द्वारा हिन्दुस्तान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को बचाने के लिए दी गई शहादत पर नतमस्तक होते हुए कश्मीरी पंडित अब स्वयं को गुरु तेग बहादुर पंथी कह कर संबोधित करेंगे। इस बात का एलान कश्मीरी पंडितों की नेता एवं ‘‘श्री गुरु तेग बहादुर साहिब सम्मान यात्रा’’ की प्रमुख प्रीती सप्रू ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. की मौजूदगी में की। कश्मीरी पंडितों के नेताओं ने कहा कि दिल्ली एवं शिरोमणी कमेटी के सहयोग से 6 जनवरी को गुरुद्वारा शीशगंज साहिब दिल्ली से शुरू होकर 7 जनवरी को तख्त श्री केशगढ़ साहिब में पहुंचने वाली यात्रा के मनोरथ एवं रूट की जानकारी पत्रकारों को दी।

Kashmiri Pandit
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बता दें कि जी.के. ने कहा कि गुरू साहिब ने मानवता की रक्षा के लिए शहादत देकर हिन्दुस्तान में धर्मों के अस्तित्व को बचाया था। यदि यह जुल्म मुगलों के बदले किसी और ने भी किया होता तो भी गुरु साहब ने शहादत देने से पीछे नहीं हटना था। 342 वर्ष बाद भी कश्मीरी पंडितों द्वारा गुरू साहिब की शहादत को नतमस्तक होने के लिए उठाये जा रहे कदमों की प्रशंसा करते हुए जी.के. ने इस मसले पर कमेटी द्वारा पूर्ण सहयोग देने का भरोसा दिया।

वहीं इस मौके पर कर्नल तेज टिक्कू एवं जनरल एच.के. राजदान ने कहा कि 1675 में जैसे कश्मीरी पंडितों को धार्मिक असहनशीलता का सामना औरंगजेब के राज में करना पड़ रहा था आज भी हालात वैसे ही हैं। हमें अपने घरों को वापस जाने के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध करवाने में सरकारें कामयाब नहीं हो रही है। इसलिए 342 वर्षो बाद फिर से श्री आनंदपुर साहिब की धरती पर नतमस्तक होकर गुरु के चरणों में अपनी घर वापसी की अरदास करने के लिए हम लोग जा रहे हैं।

साथ ही जी.के. ने कहा कि दिल्ली कमेटी की पूरी कोशिश है कि कश्मीरी पंडित अपने मूल के साथ उसी तरीके से जुड़े रहें जैसे गुरु साहिब ने जोड़ा था। राम-रावण और कौरव-पांडवों की लड़ाई का हवाला देते हुए जी.के. ने कहा कि उक्त युद्ध एक ही धर्म के नेताओं के बीच थे परन्तु गुरू तेग बहादुर साहिब ने दूसरे धर्म के तिलक एवं जनेऊ की रक्षा के लिए शहादत थी हालांकि जनेऊ का स्वयं गुरुनानक देव जी ने खंडन किया था। इसलिए गुरू तेग बहादुर साहिब जी की शहादत धर्मयुद्ध का प्रतीक है। जी.के. ने इस यात्रा के दिल्ली कमेटी द्वारा तालमेल करने की जिम्मेदारी कमेटी सदस्य परमजीत सिंह चंढोक को देने का ऐलान किया। इस अवसर पर दिल्ली कमेटी के प्रवक्ता परमिन्दर पाल सिंह एवं कश्मीरी पंडितों के नेता मौजूद थे।

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