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अलविदा 2017: इस साल की ये घटना पाकिस्तान में इतिहास के रूप में होगी दर्ज

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नई दिल्ली। जहां एक तरफ भारत के लिए साल 2017 अच्छा साबित हुआ तो वहीं पाकिस्तान के लिए ये साल डामाडोल रहा। खासकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए ये साल अच्छा साबित नहीं हुआ क्योंकि वो इस साल अपना प्रधानमंत्री कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। बता दें कि की ये तीसरा मौका था जब वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। दरअसल पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पनामा पेपर मामले में अयोग्य घोषित करते हुए प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था, जिसके पीछे की वजह थी पिछले साल सुर्खियों में आया पनामा पेपर्स घोटाला मामला, जिसमें भारत के भी कई बड़े-बड़े लोगों के नाम शामिल थे। हालांकि भारत में तो इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर कार्रवाई करते हुए अपने प्रधानमंत्री को ही अयोग्य करार दे दिया।WhatsApp Image 2017 12 27 at 3.08.09 PM अलविदा 2017: इस साल की ये घटना पाकिस्तान में इतिहास के रूप में होगी दर्ज

बता दें कि पनामा पेपर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ मामला है। इसमें नवाज शरीफ के साथ उनकी बेटी मरीय, दमाद सफदर. बेटों हसन और हुसैन का भी नाम सामने आया था। हालांकि इस मामले को लेकर उनके परिवार पर अभी फैसला आना बाकी है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में इस साल 26 जुलाई को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को अयोग्य घोषित कर दिया था, जिसके चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने पड़ा था। नवाज के इस्तीफे के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक भूचाल आ गया था, क्योंकि ज्यादा समय तक सेना के प्रभूत्व में रहे पाकिस्तान में एक बार फिर सैन्य शासन का खतरा मंडराने लगा था। हालांकि, बाद में चुनाव आयोग के आदेश पर नवाज की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने 45 दिनों के लिए शहीद खाकान अब्बसी को प्रधानमंत्री बना दिया था, वहीं बाद मे इस कार्यकाल को बढ़ाकर मई 2018 में होने वाले आम चुनावों तक कर दिया गया।

28 जुलाई के ऐतिहासिक फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से शरीफ को अयोग्य घोषित कर दिया था, क्योंकि 2013 के आम चुनाव से पहले नामांकन पत्रों में वह ‘अवास्तविक वेतन और संपत्ति’ की घोषणा करने में विफल रहे थे। पीठ ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो को ये भी निर्देश दिया था कि शरीफ, उनके पुत्र हसन नवाज, हुसैन नवाज, बेटी मरियम नवाज, दामाद मुहम्मद सफदर और तत्कालीन वित्तमंत्री इशाक डार के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएं। इस दौरान नवाज ने कहा था कि उन्होंने 2013 के चुनाव के नामांकन पत्रों में अपने दस्तावेजों को नहीं छुपाया था, जिसके लिए उन्हें अदालत ने बेईमान और अविश्वसनीय करार देते हुए अयोग्य घोषित किया है।

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