नई दिल्ली। हम अब से कुछ दिन बाद अगले साल में कदम रखने जा रहे हैं और 2017 की अपनी यादों को पीछे छोड़कर अगले साल में होने वाले फिर नए रोमांच की तैयारी में जुट गए हैं। अब अगले साल में जाने से पहले साल 2017 की घटी कुछ घटनाओं को एक बार फिर याद करने का समय आ गया है। साल 2017 भारत के लिए कई मायनों में अच्छा साबित हुआ है, लेकिन इस साल हुए डोकलाम विवाद ने भारत-चीन को युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया था। लगभग सवा महीने तक चले इस विवाद में दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ कई तल्ख टिप्पणियां की। जहां एक तरफ चीन ने कहा कि वो भारत को युद्ध में हरा देगा तो वहीं भारत ने भी पलटवार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। भारत ने भी चीन को सीधे मुंह जवाब देते हुए कहा कि आज का भारत साल 1962 का भारत नहीं है , जब आप लोगों ने भारत को युद्ध में हरा दिया था। भारत के इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच में शीतयुद्ध छिड़ गया। एक पल के लिए तो ऐसा लगने लगा था कि भारत-चीन के बीच में अब युद्ध हो जाएगा।
क्या था डोकलाम विवाद
डोकलाम विवाद एक सड़क के निर्माण को लेकर था, जिसके चलते भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एक दूसरे के सामने आ गई थी। दरअसल चीन जिस इलाके{डोकलाम} में सड़क निर्माण कर रहा था वो उसका था ही नहीं बल्की वो इलाका भूटान का था, लेकिन चीन तो चीन है उसने अपनी घमंड और ताकत के बल पर भूटान को पीछे करते हुए सड़क निर्माण शुरू कर दिया, लेकिन उसके इस मंसूबे पर भारत ने पानी फेरते हुए उसे लगातार 2 महीने {इस विवाद के अंत तक} चीन को वहां पर सड़का निर्माण नहीं करने दिया। ये विवाद 18 जून 2017 को तब शुरू हुआ जब लगभग 300 भारतीय सैनिकों ने बुलडोजर्स की मदद से डोकलाम में चीन को सड़क निर्माण करने से रोक दिया। इसके बाद 9 अगस्त को चीन ने दावा किया कि केवल 53 भारतीय सैनिक और एक बुलडोजर अभी-भी डोकलाम में मौजूद है, जबकि भारत ने इस दावे को नाकारते हुए कहा था कि वहां करीब 300-350 भारतीय सैनिक उपस्थित है।
इसके बाद सितम्बर महीने में प्रस्तावित ब्रिक्स शिख्स्र सम्मेलन से थोडे ही पहले 27 अगस्त को दोनों देशों ने अपनी सेनाएं पीछे हटाने का निर्णय लिया। समस्या को सुलझा जाने के कुछ हफ्ते बाद ही चीन ने 500 सैनिकों के साथ फिर से सड़क निर्माण शुरू कर दिया। बता दें कि डोकलाम विवाद का असली कारण उसकी अवस्थिति है, जोकि एक ट्राई जंक्शन है जहां पर भारत, चीन और भूटान की सीमा मिलती है। हालांकि भारत का इस क्षेत्र पर अपना कोई दावा नहीं है वो तो बस भूटान की तरफ से खड़ा होकर एक अच्छे और सच्चे पड़ोसी का धर्म निभा रहा था। मौजूदा दौर पर यहां चीन का कब्जा है और भूटान उस पर दावा करता है।
साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे। भूटान और भारत के बीच 1949 से ही परस्पर विश्वास और स्थायी दोस्ती का करीबी संबंध है। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग का करार है। 2007 में भारत और भूटान द्वारा हस्ताक्षर किए गए मैत्री संधि के अनुच्छेद 2 में कहा गया है कि भूटान और भारत के बीच घनिष्ठ दोस्ती और सहयोग के संबंधों को ध्यान में रखते हुए, भूटान की साम्राज्य की सरकार और भारत गणराज्य की सरकार निकट सहयोग करेगी अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे के साथ हमेशा खड़ी होगी।