चेन्नई। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु और केंद्र सरकार को आदेश देते हुए ये पता लगाने को कहा है कि महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध गिरते लिंगानुपात के कारण बढ़ रहे हैं या इसके पीछे सांस्कृतिक, धार्मिक और नैतिक कारण जिम्मेदार हैं, जिनके कारण सेक्स करने से रोका जाता है और पुरुषों में सेक्स के लिए भूख बढ़ रही है। हाईकोर्ट के जज एन.किरुबाकरण ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ यौन अपराधों में हर साल तेजी से इजाफा हो रहा है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग को इस आदेश को लेकर 10 जनवरी 2018 तक अपना जवाब दर्ज कराने को कहा है।
कोर्ट ने एक 60 वर्षिय मानसिक रोगी महिला के बलात्कार और हत्या के आरोपी एंड्र्यू और प्रभू की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यौन अपराध निजता और मर्यादा का हनन है, जिसके कारण महिलाओं के सम्मान पर जीवनभर भट्टा लग जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सभी को अपने शरीर पर अधिकार है और इसका कोई भी हनन नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि महिला के शरीर का हनन करने वाले लोगों को न तो जानवर कहा जा सकता है और न ही इंसान क्योंकि जानवर भी अपने शरीर के अधिकार का सम्मान करते हैं। जज किरुबाकरण ने कहा कि साल 2012 में दिल्ली हुए निर्भय कांड के बाद कानून में लाए गए सख्त बदलाव के बाद भी महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।
कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग को जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या शराब की लत ऐसे अपराधों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है या गिरता लिंगानुपात और कन्या भ्रूण हत्या इसके लिए जिम्मेदार है। कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि क्या सांस्कृतिक, धार्मिक, नियमों और नैतिकता जैसी वजहों से यौन संबंधों को निषेध किए जाने के कारण भारतीय पुरुषों में सेक्स की ‘भूख’ बढ़ गई है और वे ऐसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं? इसके अलावा हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या सेक्स एजुकेशन की कमी और अश्लील सामग्री तक आसान पहुंच भी बढ़ते यौन अपराधों के लिए जिम्मेदार है? कोर्ट ने सरकार से कहा कि वे ऐसी संभावनाओं पर विचार करें जिसमें महिलाओं को ऐसी मॉडर्न डिवाइस उपलब्ध कराए जाएं और वे किसी अनहोनी की स्थिति में उनका इस्तेमाल कर सकें।