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शहीद सैनिकों के बच्चों को मिलने वाली ट्यूशन फीस पर सरकार करेगाी समीक्षा: रक्षा मंत्री

nirmala sitharaman शहीद सैनिकों के बच्चों को मिलने वाली ट्यूशन फीस पर सरकार करेगाी समीक्षा: रक्षा मंत्री

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय के शहीद , विकलांग, लापता अफसरों और जवानों के बच्चों की ट्यूशन फीस को 10 हजार रुपये पर सीमीत करने के फैसले का हर जगह विरोध हो रहा है। विरोध का आलम ये है कि रक्षा मंत्रालय को दबाव में आने के चलते अपने फैसले को वापस लेना पड़ा है, जिसके बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस फैसले की दोबारा से समीक्षा करने को कहा है। इस मामले को लेकर रक्षा मंत्री ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि सरकार इस फैसले की समीक्षा करेगी क्योंकि सरकार हमेशा से ही सेना के पक्ष में रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो नेवी चीफ सुनील लांबा ने भी रक्षा मंत्री को इस फैसले की समीक्षा करने के लिए पत्र लिखा था। बता दें कि नेवी चीफ लांबा चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन भी है। nirmala sitharaman

मिली जानकारी के मुताबिक अगर ये फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो जाता तो इसका असर करीब 3 हजार ज्यादा बच्चों पर पड़ सकता था। ट्यूशन फीस की लिमिट तय करने से सरकार के महज 4 करोड़ रुपए प्रति साल बचने की उम्मीद है। गौरतलब है कि साल 1972 में इस योजना के तहत शहीदों या फिर कार्रवाई के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों के बच्चों की स्कूलों,कॉलेजों और अन्य व्यासायिक शौक्षणिक संस्थानों की ट्यूशन फीस पूरी तरह से माफ रहती है। हालांकि, इसी साल 1 जुलाई को सरकार ने एक आदेश जारी किया था कि इस फैसले में ट्यूशन फीस की अधिकतम सीमा 10,000 रुपये कर दी जाए जिसे लेकर सैनिकों और पूर्व सैनिकों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।

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