नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज को लताड़ लगाते हुए उसे 150 छात्रों की फीस लौटाने को कहा है और साथ में छात्रों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी हुक्म सुनाया है। इसी के साथ कोर्ट ने कॉलेज पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कॉलेज की पैरवी कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट को भी लताड़ लगाई है। आपको बता दें कि मेडिकल कॉलेज को लेकर सीनियर एडवोकेट विकास सिंह और एडवोकेट गौरव शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कॉलेज को केंद्र सरकार से औपचारिक अनुमति नहीं थी, फिर भी हाईकोर्ट ने एडमिशन की इजाजत दे दी थी।
इन दोनों वकीलों ने बताया कि कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर, मेडिकल सुविधाएं और टीचर्स की कमी है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि एडमिशन की इजाजत देकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है क्योंकि इस फैसले से संस्थानिक समस्या खड़ी हो सकती है। गौरतलब है कि ये कॉलेज जीसीआरजी मेमोरियल ट्रस्ट का है। सीबीआई कॉलेज के गलत तरीके से एडमिशन देने के मामले की जांच कर रही है।
इसमें सीबीआई ने पिछले दिनों ओडिशा हाईकोर्ट के जज आई एम कुदुसी को गिरफ्तार किया था और उन पर कॉलेज को फेवर कर लाभ पहुंचाने का आरोप है। कुदुसी ओडिशा से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज थे। इसके अलावा सीबीआई ने पुडुचेरी के दो आईएएस अफसरों पर FIR दर्ज की थी। पूर्व स्वास्थ्य सचिव बी आर बाबू और केंद्रीय प्रवेश समिति के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार पर गलत तरकी से एडमिशन कराने का आरोप है।