नई दिल्ली। सरकार नकदी के बदले डिजिटल ट्रांजेक्शन पर विशेष जोर दे रही है। इसके लिए आए दिन नई-नई योजनाओं का भी सरकार ऐलान कर रही है। इन योजनाओं का लाभ ग्रामीण इलाकों में कितना मिलता है, इसकी बानगी भारत-भूटान के सीमावर्ती कुमारीकाटा व दरंगा इलाके में देखी जा सकती है। इस इलाके के लोगों को बैंकिंग की माकूल व्यवस्था न होने से भारी परेशानी का सामना झेलना पड़ रहा है।
देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे कुमारीकाटा-दरंगा इलाके के लगभग 25 किमी के दायरे में भारतीय स्टेट बैंक की सिर्फ एक शाखा है। इस भू-भाग में बड़ी जनसंख्या निवास करती है। इस क्षेत्र के लोग भी बैंकिंग व्यवस्था से जुड़े हुए हैं, लेकिन पर्याप्त संख्या में बैंक न होने से उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया है कि कुमारीकाटा से दरंगा के बीच सिर्फ एक एटीएम बूथ है। इस बूथ का नजारा नोटबंदी सरीखा है। यहां पर प्रतिदिन लोगों को लंबी कतार में लगकर पैसे निकालने पड़ते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में चाय बगान, सेना का कैंप, बड़े-बड़े कई प्रतिष्ठान, दुकान आदि मौजूद हैं। यहां के लोगों को बैंकिंग व्यवस्था के लिए पड़ोसी जिले नलबाड़ी या फिर कामरूप (ग्रामीण) जिले के रंगिया पहुंचना पड़ता है।
हालांकि इलाके की जनसंख्या के अनुसार यहां पर बैंक की शाखाएं खोलने की आवश्यकता है। एटीएम की हालत यह है कि आए दिन यह खाली ही रहता है जबकि एटीएम सुबह 9-10 बजे खुलता है और शाम 5 बजे बंद हो जाता है। बैंक की शाखाएं न होने और दूसरे एटीएम की सुविधा न होने से आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाएं बैंकों के अभाव में अधर में नजर आती हैं। स्थानीय लोगों ने सरकार से इलाके में बैंकों की शाखाओं और एटीएम बूथों का विस्तार करने की मांग की है।