नई दिल्ली। आने वाली आठ अक्टूबर पर सुहागिनों का विशेष त्यौहार करवा चौथ आ रहा है। इसको लेकर तैयारियां अपने चरम पर हैं। खास तौर पर उन दुल्हनों के लिए ये त्यौहार कुछ ज्यादा विशेष हैं, जिनका पहला करवा चौथ है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाएगा। इस त्यौहार के दिन सुहागिन औरतें अपने पतियों की लम्बी उम्र की कामना करती हुए सुबह से पूरे दिन बिना कुछ खाए पीए व्रत रहेंगी। शाम को चांद के देखकर अपने पति के हाथ से पानी का घूंट पीकर ही अपना व्रत तोड़ेंगी। इस दौरान उन महिलाओं और सुहागिनों को खास ध्यान रखना चाहिए जिनका पहला करवा चौथ का व्रत है।
सरगी के साथ करें व्रत की शुरूआत
जिनका पहला करवा चौथ है उनके लिए उनकी सास की ओर से सरगी आएगी। सास को इस खास दिन पर अपने अपने बहू को सरगी देनी चाहिए। सरगी खाकर बहू अपने व्रत की शुरूआत करेगी। इस सरगी में मिठाईयां और कपड़े के साथ श्रृंगार का सामान होता है। करवा चौथ के दिन सूर्योदय के पहले सुबह 4 बजे के आस-पास महिलाएं सरगी खाकर अपने व्रत की शुरुआत करती हैं।
व्रत के लिए बनाएं अपने प्रिय का खास व्यंजन
अगर आपका पहला करवा चौथ का व्रत है तो जहां आप अपने प्रिय के लिए दिन भर बिना कुछ खाए पीए व्रत रख रही हैं। वहीं आज किचन में जब आपको कुछ खाना नहीं हैं, तो अपने प्रिय के लिए शाम को व्रत तोड़ने के बाद उसका पसंदीदा व्यंजन उसको परोस कर सीधा उसके दिल में उतर सकती हैं।
शाम को अपने मां के घर के बाया से करें पूजा
जिस तरह सास अपनी बहू को सरगी भेजती है उसी तरह लड़की के घर से बाया आता है। जिसमें मिठाईयां और कपड़े होते हैं। इस बाया के सामान का प्रयोग लड़की शाम की पूजा में करती है। इस बाया की मिठाई से भोग लगाती है। इसके साथ ही कपड़े को पहनकर पूजा करती है। श्रृंगार के सामान को भेंट चढ़ाती है।
करवा चौथ व्रत की कथा सुने और पढ़े
करवा चौथ के दिन इस व्रत के महत्व और पूजा के विधान को जानना जरूरी होता है। इसके लिए हर सुहागिन स्त्री को खासतौर पर नई नवेली दुल्हन को इस दिन यह कथा सुनना चाहिए। इस कथा को ध्यान से सुनकर पूजा के विधान को करना चाहिए। जिससे पूजा में कोई भूल ना हो पाए।
मंगलगीतों को गाना चाहिए
वैसे तो त्यौहार बिना गीत संगीत के होते ही नहीं है। लेकिन करवा चौथ के दिन महिलाओं को मंगलगीत और करवा चौथ से जुड़े गीत और भजन गाने चाहिए। इसे जहां त्यौहार की रंगत चढ़ती है। वहीं घर में त्यौहार का वातावरण बन उठता है।
पहने सुहाग का जोड़ा
इस व्रत के लिए महिलाओं को अपने वैवाहिक जीवन की शुरूआत करते वक्त का जोड़ा पहनना चाहिए। ये दिन सुहाग का होता है, पूजा के वक्त और चंद्र दर्शन के वक्त सुहाग के जोड़े में आप का श्रृंगार निखर कर दिखाई देता है। खास कर अगर आपको शादी का जोड़ा नहीं पहनना है तो साड़ी या लंहगा पहने तो उसका रंग लाल होना चाहिए। क्योंकि लाल रंग प्रेम का प्रतीक होता है।