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पाना चाहते है यौवन शक्ति तो जाने क्यूं विशेष है शरद पूर्णिमा की रात

sharad poornima पाना चाहते है यौवन शक्ति तो जाने क्यूं विशेष है शरद पूर्णिमा की रात

नई दिल्ली। देश में अब त्यौहारों का सीजन आ गया है। देश में त्यौहारों को लेकर अब चारों ओर बहार है। वातावरण में भीनी-भीनी ठंड आने वाली है। इसी वातावरण में पर्वों की अद्वितीय श्रृंखला शुरू हो रही है। इसी श्रृंखला में नवरात्र और इसके बाद दशहरा का पर्व आकर जा चुका है। अब अगला पर्व और त्यौहार शरद पूर्णिमा का है। इस पर्व के साथ ही हमारे भारतीय ऋतु में शरद ऋतु की आगमन हो जाता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है।

sharad poornima पाना चाहते है यौवन शक्ति तो जाने क्यूं विशेष है शरद पूर्णिमा की रात

प्राचीनकाल से ही अमृत को लेकर कहा गया है कि इसकी बूंद ही नहीं बल्कि ओज से भी मनुष्य को यौवन प्रदान करने के लिए काफी है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से निकलने वाली ज्योत्सना से अमृत की बूंदें जमीन पर गिरती हैं। इस किरणों से निकली ये बूंदे विशेष औषधियुक्त होती हैं। कहा जाता है कि लंका का राजा रावण भी इस दिन चंद्रमा की ज्योत्सना को दर्पण के जरिए अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। इससे उसे अपार उर्जा के साथ यौवन शक्ति प्राप्त होती थी। जानते हैं क्या क्या लाभ मिलता है चंद्रमा के दर्शन और ज्योत्सना से

– रात्रिकाल में 10 बजे से 12 बजे तक अगर कोई कम वस्तों से चंद्रमा की ज्योत्सना को अपने शरीर पर ग्रहण करता है तो उसे अपार उर्जा मिलती है।
– इस रात्रि चंद्रमा की किरणों से निकलने वाली अपार औषधिए उर्जा को प्राप्त करने के लिए लोग खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखते हैं। मान्यता है कि इस खीर में चंद्रमा की ज्योत्सना से ओज आती है।
– खीर चंद्रमा की रोशनी में रखने का वैज्ञानिक तथ्य है, दूध में लैक्टिक अम्ल होता है यह तत्व किरणों को अधिक मात्रा पर शोषित करता है। इसके साथ ही चावल में स्टार्च होता है इस कारण यह प्रक्रिया आसान हो जाती है।
– वैज्ञानिक और आध्यात्मिक विधान के चलते शरद पूर्णिमा की रात्रि में खुले आसमान में खीर रखी जाती है। इसके बाद इसका सेवन अगले दिन किया जाता है।
– इस दिन हर व्यक्ति को लगभग 30 मिनट तक चंद्रमा के सामने रहना चाहिए। चद्रंमा के सामने रहने का उपयुक्त समय रात्रि के 10 बजे से 12 बजे तक का माना जाता है।
– कहा जाता है कि रोगियों के लिए यह रात्रि वरदान होती है। इस रात्रि में औषधि के खीर में मिलकर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं।
– भोर में सुबह वह खीर रोगी खाता है तो उसे स्वास्थ्य में अभूतपूर्व लाभ मिलता है।
– आखों की रोशनी बढ़ाने के लिए इस रात्रि में चंद्रमा को कम से कम 20 मिनट तक देखना चाहिए
– आपके शरीर की जो इंद्रियां शिशिल हो गई हों उसे सक्रिय करने के लिए चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर का सेवन लाभदायक होता है।
– अस्थमा के रोगियों के इस दिन की ये खीर भोर में सेवन करनी चाहिए उनको उनके रोग में लाभ मिलता है।

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