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पटना मौसम विज्ञान केंद्र को मिला शताब्दी मौसम वेधशाला का दर्जा

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पटना। भारत आजकल हर क्षेत्र में तरक्की की जा रही है। जिसके चलते भारत की मान्यता दूसरे देशों में पहले की अपेक्षा ज्यादा बढ़ गई है। दूसरे राष्ट्रों द्वारा भारत में हो प्रगति में हो रहे कामों की सराहना की जाती रही है। इसी बीच पटना मौसम विज्ञान केंद्र से बड़ी खबर सामने आ रही है। पटना के मौसम विज्ञान केंद्र को एक नए खिताब से नवाजा गया है। विश्व मौसम विज्ञान केंद्र जिनेवा ने पटना मौसम विज्ञान केंद्र को शताब्दी मौसम वेधशाला का दर्जा दिया है। इसके साथ ही पटना मौसम विज्ञान केंद्र मौसम विज्ञान और संबद्ध विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक अवलोकन के दीर्घकालिक रिकॉर्ड वाले शहरों के आला क्लब में शामिल हो गया है।

जानें किसने की थी पटना मौसम वेधशाला की स्थापना-

बता दें कि पटना मौसम वेधशाला 1867 ईस्वी में ब्रिटिश कोर ऑफ इंजीनियर्स द्वारा स्थापित की गयी थी। इसके बाद आर्मी मेडिकल क्रॉप द्वारा महामारी और अन्य बीमारियों पर मौसम के प्रभाव के अध्ययन के लिए इसे संचालित किया जाता रहा। 1852 ईस्वी में कैप्टन सर हेनरी जेन द्वारा मौसम पर्यवेक्षण लेने संबंधी दिशानिर्देश पहला सेट जारी किया गया। आरंभ में सुबह साढ़े नौ बजे और शाम 3.30 बजे मौसम का रिकॉर्ड लिया जाता रहा। बाद में इसकी बारंबारता बढ़ाकर चार बार किया गया। बाद में कुल 24 घंटे में हर तीन घंटे पर कुल आठ बार मौसम के आंकड़े एकत्र किए जाने लगे। अब तक यह सिलसिला जारी है। आईएमडी पटना के निदेशक विवेक सिन्हा ने बताया कि 1875 ईस्वी में भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना के साथ सभी तरह के पर्यवेक्षण, प्रबंधन और कार्यालय के अवलोकन की जिम्मेदारी मौसम विज्ञान विभाग को दे दी गई।

इस उपलब्धि के बाद पटना के मौसम वैज्ञानिकों में ख़ुशी की लहर-

पटना के मौसम विज्ञान केंद्र को यह दर्जा बीते दिनों हुई 72वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में दिया गया है। इस उपलब्धि के बाद पटना के मौसम वैज्ञानिकों में ख़ुशी की लहर है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विवेक सिन्हा ने बताया कि इस उपलब्धि ने उनका मान बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यह विश्व मौसम विज्ञान केंद्र तकनीकी आयोगों, ग्लोबल क्लाइमेट ऑब्जर्विंग सिस्टम के सदस्यों और विश्व मौसम विज्ञान संगठन सचिवालय का प्रतिनिधित्व करने वाले जलवायु, मौसम और उपकरण विशेषज्ञों के बीच विमर्श और निकट सहयोग की वजह से प्राप्त हुआ है।

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