देहरादून। सूर्यदेव की प्रथम रश्मि किरण के साथ भारतीय सैन्य अकादमी में अभूतपूर्व नजारे और गर्व मान सम्मान के पल का आगाज हुआ जो कि हर कैडेट के लिए महत्वपूर्ण होता है। शनिवार को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से 383 जैन्टिलमैन कैडेट ने सेना में कमीशन अधिकारी के तौर पर अन्तिम पग भरा। भारतीय सैन्य अकादमी का गौरवशाली इतिहास रहा है। साल 1932 में 40 कैडेट्स के साथ इस अकादमी का सुनहरा सफर शुरु हुआ था।
उस वक्त ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस प्रथम कमांडेंट बने थे। तब के वक्त में आइएमए के शुरूवाती जत्थे को पायनियर बैच के नाम दिया गया था। इसी जत्थे में से फील्ड मार्शल सैम मानेक शा ओर म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे।
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भारतीय सैन्य अकादमी में गहन और कठोर प्रशिक्षण के बाद ये कैडेट देश की सेवा के लिए अपनी यूनिटों में पासिंग आऊट परेड के बाद रिपोर्ट करेंगे। परेड का शुभारम्भ चैटवुड बिल्डिंग के साथ परेड ग्राउंड पर आरम्भ हुआ। गर्व और जोश से भरे कदम और बुलंद कमांड के साथ युवा अधिकारों ने जहां सोल्ड ऑफ ऑनर से लेकर मेडल तक हासिल किया वहीं। परेड का मुख्य अतिथि ने निरीक्षण भी किया।
इनको मिला सम्मान
इस बार परेड सोल्ड ऑफ ऑनर एसीए सचिन कुमार चाहर को दिया गया। स्वर्ण पदक बीयूओ आदित्य निखारा को दिया गया। इसके साथ ही बीयूओ आतीश सहगल को रजत और बीयूओ कुलदीप नानासाहब पवार को तांब्र पदक दिया गया । इसके साथ ही टेक्निकल कोर्स के लिए जेयूओ रोहित दिलीप पटवर्धन को सिल्वर मेडल दिया गया। वहीं विदेशी कैडेट में सिल्वर मेडल एसयूवो बुखोरी सैय्दुलाबी को दिया गया। इस बार की चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ बैनर थिमैया बटालियन को हासिल हुआ।
अन्तिम पग भरने के बाद ये कैडेट सोमनाथ स्टेडियम के मैदान में अपने मां बाप और परिजनों के साथ बैठ जहां पर इनकी रैंक सेरेमनी और फिर ओथ सेरेमनी का आयोजन हुआ।ओथ सेरेमनी के बाद कैडेट से अफसर बने इस युवाओं का जोश देखने लायक था। हवा में गुलाचे मारते मानो आकाश को छू लेने की चाह दिल में लगाए छलांग लगा रहे ये युवा अधिकारी आकाश को ऊंचा होने पर उसे चुनौती दे रहे हों कि अगर हमारी उडान देखनी है तो अपनी ऊंचाई और बढ़ा लो।