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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 33 महिलाओं को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

47 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 33 महिलाओं को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के प्रति भेदभाव खत्म करने और उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए समूचे नारी शक्ति को सलाम किया तथा महिला सशक्तीकरण में उल्लेखनीय योगदान देने वाली महिलाओं को इस मौके पर सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में महिला विकास और सशक्तीकरण में असाधारण योगदान करने वाली 33 महिलाओं और छह संस्थानों को वर्ष 2016 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए।

47 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 33 महिलाओं को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
इस अवसर पर मुखर्जी ने समग्र सामाजिक विकास पर जोर दिया और कहा कि आधुनिक भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव की कोई जगह नहीं है। राजनीति, सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्र के साथ-साथ आर्थिक विकास के लिए महिलाओं की समान भागीदारी आवश्यक है।मुखर्जी ने कहा कि हमारे संविधान और नीति निर्देशक तत्वों में नीति और नियोजन के लिए सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। महिलाएं अब केवल कल्याण लाभों को प्राप्त करने वाली नहीं बल्कि समान अधिकार, समान सहभागी और देश की सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक प्रक्रियाओं में परिवर्तन की वाहक के रूप में मान्य दी जाती हैं।

राष्ट्रपति ने राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी की चर्चा करते हुए कहा कि, इस क्षेत्र में भी महिलाओं का प्रयास सराहनीय रहा है। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करने में प्रभावी रूप से योगदान दिया है और निःस्वार्थ भाव से विकास तथा राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों के लिए कार्य कर रही है।मुखर्जी ने कहा कि देश के अनेक हिस्सों में बाल लिंग अनुपात में गिरावट को देखते हुए प्रधानमंत्री का ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान इस तरह बनाया गया है ताकि देश के प्रत्येक हिस्सें में लड़की प्राथमिक शिक्षा में नामांकन के लिए प्रेरित हो सके। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2015 तक देश के 100 जिलों को चुना गया और 2016 में इसमें 61 अतिरिक्त जिले जोड़े गए।

उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं के प्रति बढ़ रही हिंसा को लेकर चिंतित है। यह अक्षमय बात है कि भारत में महिला उतनी सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, जितनी सुरक्षा होनी चाहिए। आधुनिक भारत में लैंगिंक असमानता और भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं है।राष्ट्रपति ने गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की कृति ‘घरे बायरे’ का जिक्र करते हुए कहा कि, इसकी पढ़ी हुई पंक्ति मुझे याद आती है कि, ‘हम महिलाएं घर के चिराग की केवल देवियां नहीं, बल्कि इसकी ज्योति और आत्मा हैं।’ महिलाओं को आदर देते समय यह पंक्तियां हमारे दिमाग में होनी चाहिए। यह कठिन नहीं है क्योंकि यह बुनियादी मूल्य हमारी महान विरासत का हिस्सा रहे हैं और हमारी चेतना में हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें इन बुनियादी मूल्यों की रक्षा और प्रसार के प्रति अपने आप को समर्पित करना चाहिए।

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