चाहे गर्दन पर छूरी रख तो पर नहीं बोलूंगा ‘भारत माता की जय’
ओवैसी बनाम मोहन भागवत- इस साल पूरे देश में राष्ट्रवाद का मुद्दा छाया रहा। अपने खतरनाक बयानों को लेकर लगातार चर्चा में रहने वाले एआईएमआईएम के नेता असादुद्दीन ओवैसी ने 14 मार्च को एक विवादित बयान दिया जिसको लेकर देश में खासा बवाल मचा। फरवरी में जेएनयू विवाद के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि युवाओं में राष्ट्रभावना को जगाने के लिए अब देश की नई पीढ़ी को ‘भारत माता की जय’ कहना सीखना होगा, मोहन भागवत ने जेएनयू और देश विरोधी नारेबाजी के मामले पर बोलते हुए पिछले दिनों कहा कि अब युवाओं को भारत माता की जय कहने के लिए भी बताना पड़ता है।
उन्होंने कहा, अब ऐसा समय आ गया है जब हमें नई पीढ़ी को भारत माता की जय बोलने के लिए कहना पड़ता है। यह दुर्भाग्य की बात है कि हमें उन्हें राष्ट्रवाद सिखाना पड़ रहा है। जब ऐसे लोग हैं जो आप से कहते हैं कि भारत माता की जय मत कहो। इसपर असादुद्दीन ओवैसी ने कहा कि चाहे मेरी गर्दन पर छूरी क्यों ना रख दी जाए, फिर भी मैं भारत माता की जया नहीं बोलूंगा, किसी भी संविधान में यह नहीं लिखा है कि भारत माता की जय बोला जाए। इस बयान को लेकर आवैसी देश में पूरे साल निशाने पर रहे। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस जबरदस्ती लोगों पर भारत माता की जय बोलने के लिए कह रही है, मैं जबरदस्ती नहीं बोलूंगा।
बुलंदशहर में बलात्कार विपक्ष की साजिश
सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान अपने विवादित बयानां के चलते लगातार चर्चे में रहे हैं, अगस्त के महीने में उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर में हुए बलात्कार पर भी आजम खान अपने भाषा पर रोक नहीं लगा सके, इसपर भी उन्होंने एक विवादित बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि जो बलात्कार की घटना बुलंदशहर में हुई है वो विपक्ष द्वारा रची गई साजिश है, इस मुद्दे ने जंगल में आग तक तरह तूल पकड़ा। आजम खान ने कहा कि हमें इस बात की जांच करने की जरूरत है कि इसके पीछे सरकार की छवि खराब करने की विपक्षियों की साजिश तो नहीं है।
उन्होंने कहा, वोट के लिए लोग किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं. जब मुजफ्फरनगर हो सकता है तो यह क्यों नही? इस विषय को लेकर विपक्ष ने आजम को निशाने पर रखा। आजम ने वहीं एक और बयान में उत्तरप्रदेश के राज्यपाल को निशाना बनाया जिसमें उन्होंने कहा कि राज्यपाल आरएसएस के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं। आजम ने कहा, श्राजभवन को आरएसएस भवन बना दिया गया है और यह लोकतांत्रिक नियमों को ठेस पहुंचाने और व्यवस्था उन्मूलन का प्रयास है। क्या वह (नाइक) आरएसएस के एजेंट हैं?