नवरात्र स्पेशल। कोरोना काल में नवरात्रों को भक्तों द्वारा बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। सभी में मां के प्रति भक्ति उमड़ रही है। पंचाग के अनुसार से अष्टमी तिथि का आरंभ कल यानि 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट पर पर शुरू होकर आज 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हुआ है। इसी के साथ आज नवरात्रि की महानवमी है। जिसके चलते आज अष्टमी और नवमी एक ही दिन बताई जा रही है। आज का दिन भक्तों के लिए बड़ा ही सुखदायक होता है।
बता दें कि हिंदी पंचाग के अनुसार तिथियां अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों की तरह 24 घंटे तक नहीं रहती है बल्कि इससे ज्यादा व कम भी हो सकती है। कई बार तिथियां एक ही दिन पड़ जाती हैं जिससे दो व्रत्त या त्यौहार एक ही दिन पड़ते हैं। जैसा कि आज के दिन यानि 24 अक्टूबर को नवरात्रि की अष्टमी और महानवमी पड़ रही हैं। 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट पर पर शुरू होकर आज 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हुआ है। जबकि आज सुबह 6 बजकर 58 से अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक महानवमी है। ऐसे में महानवमी का व्रत्त आज रखा जाएगा। महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। महाष्टमी और महानवमी दोनों ही तिथियों को कन्या पूजन किया जाता है। इसलिए नवरात्रों में इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है।
कन्या पूजन के विधि-
यज्ञ करने के आद व्रतियों को कन्या रूपी देवी को भोजन कराने की मान्यता है। इसके बाद उसे उपहार देना चाहिए। कंजक पूजन के बाद देवी भगवती से सुख-समृद्धि की कामना करें। इसके बाद ‘या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमों नमः‘ मंत्र का गयारह बार जाप करें। इसी के साथ आगे बता दें कि कन्या पूजा में आपको 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना खहिए। जब आप कन्या पूजा करने जाए तो 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं को को भोज के लिए आमंत्रित करें तथा उनके साथ एक छोटा बालक भी होना चाहिए। क्योंकि 9 कन्याएं 9 देवियों का स्वरूप मानी जाती हैं और छोटा बालक बटुक भैरव का स्वरूप होते हैं। कन्याओं को घर आमंत्रित करके उनके पैर पानी से धोते हैं। फिर उनको चंदन लगाते हैं। फूल, अक्षत् अर्पित करने के बाद भोजन परोसते हैं। फिर उनके चरण स्पर्श करके आशीष लेते हैं और उनको दक्षिणा स्वरूप् कुछ उपहार भी देते हैं।