नई दिल्ली। हिंदू पुरुष से शादी करने वाली पारसी महिला के धर्म परिवर्तन पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करने पर महिला का धर्म अपने आप पति के धर्म में परिवर्तित नहीं हो जाता।
ये मामला है पारसी महिला गुलमुख एम. गुप्ता का जिन्होंने अपने मूल धर्म पारसी की मान्यता के अनुसार अपने पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने का अधिकार मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने बलसाड पारसी अंजुमन से पूछा कि क्या वो गुलमुख को अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने की इजाजत दे सकते हैं। गुजरात हाई कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाया था कि दूसरे धर्म के पुरुष से शादी करने के बाद महिला का धर्म अपने आप पति के धर्म में परिवर्तित हो जाता है।
हाई कोर्ट के इस फैसले को गुलमुख ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। गुलमुख के वकील ने कहा कि गुलमुख ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत हिंदू पुरुष से शादी की थी, लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा था। विशेष विवाह अधिनियम बगैर धर्म परिवर्तन के दूसरे धर्म में शादी की इजाजत देता है। ऐसे में जो गुलमुख के साथ हुआ है वो भेदभाव है। शीर्ष अदालत ने अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 14 दिसंबर तक के लिए टाल दी।