भाजपा से ब्राह्मण नाराज है, तमाम बातों के साथ यह बात भी जब-तब प्रदेश की राजनीतिक फिजा में गूंजती रहती है। चुनाव में सभी दल बाकी जातियों के साथ ब्राह्मणों को साधने के लिए भी जोर आजमाइश करेंगे। भाजपा ने समय रहते इसकी कवायद शुरू कर दी है।
कुछ समय पहले पूर्व नौकरशाह अरविंद शर्मा भाजपा में शामिल हुए और नौ जून को कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया। ऐसे में तमाम लोगों के मन में यह सवाल उठा कि जब अरविंद शर्मा पहले से भाजपा में हैं और उन्हें बड़ा ओहदा दिए जाने की बात हो रही है तो फिर पार्टी जितिन प्रसाद को क्यों लेकर आई।
क्या भाजपा के राम-लखन बनेंगे दोनों नेता
अरविंद शर्मा नौकरशाह हैं। मऊ के रहने वाले हैं। भूमिहार ब्राह्मण हैं। नौकरशाही में उनका अनुभव और कामकाज का तरीका ऐसा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उनके फैन हैं। मगर, राजनीति का जमीनी अनुभव उनके पास नहीं है। जितिन प्रसाद राजनीति और राजनेताओं की उंगली थामकर पले-बढ़े हैं। वेस्ट यूपी के ब्राह्मण वोटों पर पकड़ रखने के साथ ही वह शाहजहांपुर और धौरहरा में हर जाति और वर्ग के वोटरों से जुड़े हैं।
बाबा साहेब के परिवार से जुड़ने में अब भी गर्व महसूस होता है लोगों को
जितेन्द्र प्रसाद यानी बाबा साहेब के परिवार के जुड़ने में शाहजहांपुर के लोगों को अब भी गर्व महसूस होता है। इससे इतर, जितिन प्रसाद और उनके परिवार ने कभी भी लोगों में जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया। जितेन्द्र प्रसाद के बाद उनके बेटे जितिन प्रसाद ने भी इस परंपरा को कायम रखा।
जितिन को मैदान में उतारने से पहले क्या जिम्मेदारी देगी भाजपा
अरविंद शर्मा को यूपी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा लंबे समय से चल रही है। मगर, यूपी और दिल्ली के बीच खींचतान के चलते चर्चा अंजाम तक पहुंचती नजर नहीं आ रही। अब पार्टी जितिन को लेकर आई है। उनसे क्या काम लिया जाएगा। यह सबसे अहम सवाल है। पार्टी जितिन को कोई बड़ी जिम्मेदारी देकर मैदान में उतारेगी, या मैदान में उतारने के बाद बड़ी जिम्मेदारी देगी, यह अगले एक महीने में काफी हद तक तय होने के आसार हैं।