अमेरिका में इसी साल के अंत में चुनाव होने हैं। ऐसे में कोरोना के बीच ही राजनैतिक सरगर्मी बढ़ गई है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, हर बात पर अपनी खुली राय रखने वाले अमेरिकन्य डरे हुए हैं। अमेरिका की ये वो ही जनता है तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में खुलकर बोलती है। लेकिन अब ये जनता खामोश हो चुकी है। इसका खुलासा एक रिपोर्ट में किया गया है।
एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि लोग अपने राजनीतिक विचार को व्यक्त करने से डर रहे हैं। लोगों का मानना है कि अगर किसी राजनीतिक दल के प्रति उनके विचार का खुलासा हो जाता है तो इसका नकारात्मक असर उनकी नौकरी-पेशे पर पड़ सकता है।अमेरिका की कैटो इंस्टीट्यूट और यू जीओवी ने 2000 लोगों पर किए गए एक राजनीतिक सर्वे का रिपोर्ट जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि 62 फीसदी अमेरिकी वर्तमान राजनीतिक हालात के कारण अपने विचार को व्यक्त करने से डरते हैं। उन्हें डर है कि इससे उनके ऊपर प्रतिद्वंदी गुट हमला तक कर सकता है। ठीक ऐसा ही सर्वे 2017 में भी किया गया था, तब 58 फीसदी लोगों ने ऐसे विचार व्यक्त किए थे।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक विचार को व्यक्त करने को लेकर गरीब तबकों में डर ज्यादा दिखता है। 15 लाख से कम आय वाले 36 फीसदी परिवारों का मानना है कि उनकी राजनीतिक विचारधारा आय को प्रभावित कर सकती है। जबकि उच्च आय वाले लोग जिनकी आमदनी 75 लाख से ज्यादा है ऐसे 33 फीसदी परिवार ही मानते हैं कि विचार व्यक्त करने से उन्हें आर्थिक हानि हो सकती है।
इस रिपोर्ट के सामने आने से लोगों के बीच इसकी काफी चर्चा हो रही है। लेकिन हैरान करने वाली बात ये हैं कि, अमेरिका की जनता नेताओं पर कुछ बोलने से बच रही है।
तो वहीं खबर है कि, अमेरिकी खुफिया एजेंसी नेशनल काउंटर इंटेलीजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर के निदेशक विलियम इवानिया ने चेतावनी दी है कि रूस, चीन और ईरान नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को प्रभावित करने की फिराक में हैं। वे उम्मीदवारों और उनके राजनीतिक अभियानों की उन गोपनीय सूचनाओं को लीक कर सकते हैं जो उनको फायदा पहुंचाए।इंटेलीजेंस अधिकारी ने कहा कि चीन की कोशिश है कि अमेरिकी नीतियों को अपने पक्ष में प्रभावित कर सके। वह ऐसे नेताओं जिन्हें अपने हितों के खिलाफ मानता है, उन पर दबाव डालने के प्रयास भी बढ़ा रहा है। वहीं रूस का मकसद अमेरिका और दुनिया में उसके दबदबे को कमजोर करना है। रूस इंटरनेट ट्रोल और पीछे के दरवाजों से अमेरिका में झूठ को फैलाने में जुटा है जिससे कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास कमजोर पड़े।
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अमेरिका इस समय कोरोना से भी बहुत बुरी तरह से जूझ रहा है। जिसकी वजह डोनाल्ड ट्रंप और उनकी नीतियों का भी खूब विरोध हो रहा है।