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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास, बिना नाम लिए चीन-पाक को दी चेतावनी

15 12 2021 rajnathsingh 22295495 125118505 रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास, बिना नाम लिए चीन-पाक को दी चेतावनी

उत्तराखंड में ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास हो गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास किया। राज्य सरकार ने इसे उत्तराखंड का ‘पांचवां धाम’ नाम दिया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पांचवें धाम 'सैन्यधाम' का किया शिलान्यास, जानिए  धाम में क्या होगा खास – RozHunt.com

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास

उत्तराखंड में ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास हो गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास किया। राज्य सरकार ने इसे उत्तराखंड का ‘पांचवां धाम’ नाम दिया है। सैन्य धाम अगले दो साल में बनकर तैयार होगा। वहीं ‘सैन्य धाम’ का शिलान्यास के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तानका नाम लिए बिना कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत की एक इंच जमीन पर किसी ने भी नजर रखी या भारत को आंख दिखाई, तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

‘कुछ विदेशी ताकतें भारत-नेपाल के रिश्ते बिगाड़ना चाहती हैं’

इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि कुछ विदेशी ताकतें भारत-नेपाल के रिश्ते बिगाड़ना चाहती हैं, लेकिन वे कभी भी अपने नापाक मनसूबों में कामयाब नहीं होंगे। भारत किसी भी सूरत में रिश्ते टूटने और बिखरने नहीं देगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है। राज्य के किसी भी हिस्से में चले जाइये वीरता के किस्से सुनाई देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार साल पहले पांचवें धाम की बात कही थी और सरकार ने इसे आगे बढ़ाया। ऑनलाइन श्रद्धांजलि की व्यवस्था भी सैन्य धाम में होनी चाहिए।

जनरल बिपिन रावत के नाम पर होगा मुख्य गेट का नाम

इस दौरान रक्षा मंत्री ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत को याद करते कहा कि वह सदियों तक स्मृति में जिंदा रहेंगे। वहीं करीब पचास बीघा जमीन पर बनने वाले सैन्य धाम के मुख्य गेट का नाम पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखा जाएगा। इसमें प्रथम विश्वयुद्ध के बाद शहीद हुए उत्तराखंड के सभी वीर सैनिकों के नाम अंकित होंगे। सैन्य धाम के लिए शहीदों के आंगन की मिट्टी जुटाने के लिए गत 15 नवंबर को चमोली के सवाड़ गांव से यात्रा का शुभारंभ किया गया था।

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