अमित गोस्वामी, संवाददाता
गोवर्धन राधाकुण्ड में सफेद लिबास पहनकर बेरंग जीवन जीने को मजबूर विधवा महिलाओं ने एक बार फिऱ फूलों की होली खेलकर जीवन में खुशियाँ का अहसास किया। भिविन्न प्रकार के करीब 5 कुंटल फूलों से होली खेली और एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी।
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त्यौहार का मतलब ही भूल चुकी विधवा महिलाओं ने सोमवार को राधाकुंड के मैत्री विधवा आश्रम में अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण को साक्षी मानकर विभिन्न प्रकार के फूल समर्पित कर होली खेली। मैत्री विधवा आश्रम में होली महोउत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ संत बाल योगेश्वर दास जी महाराज व जनरल भूपेंद्र सिंह पत्नी बिन्नी सिंह, प्रबंधक संतोष चतुर्वेदी ने सामुहिक रूप से राधाकृष्ण मंदिर के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
निराश्रित और विधवा महिलाओं संग सैकड़ों भक्तों ने गुलाल और विभिन्न प्रजातियों के फूलों की खेली। भगवान श्रीराधा कृष्ण का प्रांगण उस क्षण का गवाह बना जब विधवाओं ने सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपराओं की बेड़ियों को तोड़ते हुए विभिन्न प्रकार के करीब पांच कुंटल फूलों से होली खेली और होली के गीतों की धुन पर नृत्य करतीं विधवाएं ऐसी लग रही थीं मानो अतीत के रंगहीन क्षणों को पीछे छोड़ आईं हैं। होली में विधवा महिलाओं ने रंगों का भरपूर आनंद लिया। कार्यक्रम के दौरान विधवाओं का उत्साह देखने लायक था। महिलाओं ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं।
संचालक जनरल भूपेंद्र पत्नी बनी सिंह ने बताया कि विधवा महिलाओं के बीच गुलाल और फूलों की होली का आयोजन किया गया। विधवाओं की जिंदगी में नए रंग भरने का मौका देकर समाज को यह संदेश देने की कोशिश की है कि विधवा महिलाएं भी समाज का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जितने दूसरे लोग हैं वहीं बाबा केशव दास ने बताया कि मेरे द्वारा मैत्री विधवा आश्रम को दान में दी गई जमीन आज विधवा महिलाओं के काम आ रही है जिससे में बहुत प्रसन्न हूँ। इस अवसर पर संचालक जनरल भूपेंद्र पत्नी बन्नीसिंह, प्रबंधक संतोष चतुर्वेदी, सोनिया, ज्ञानेंद्र सिंह राणा, श्याम सुंदर शर्मा, कपिल सेठ, राजरानी, रेखा, सोनिया, जमुना, शक्ति दासी, मुक्ता पाल, अर्पणा दास, राजकुमारी, निर्मला, आदि मौजूद थे ।