फतेहपुर: फतेहपुर जिले में नगर पालिका की कान्हा गौशाला का संचालन वैदिक विद्या ट्रस्ट करता है, लेकिन उसके लिए उन्हें बजट के नाम पर कुछ नहीं मिलता। ऐसे में एक पैसे की आमदनी न होने के बावजूद भी ट्रस्ट अपनी ओर से गौसेवा कर रहा है। यदि यह सब ऐसे ही जारी रहा तो बहुत जल्द यहां पर ताला भी लग सकता है। वैदिक विद्या ट्रस्ट के महासचिव डॉ. सुनील आर्या ने इस बात की ओर संकेत भी किया है।
गौशाला में 106 आवारा पशु मौजूद
शहर में जहां भी आवारा पशु हैं, उन सभी के लिए गौशाला सबसे बेहतर स्थान है। फरवरी माह में ट्रस्ट ने इसे संचालित करने का जिम्मा उठाया। उस समय 106 आवारा पशु यहां मौजूद थे। इसके बाद मार्च माह में 174, अप्रैल में 164, मई में 173, जून में 154, जुलाई में 146 और अगस्त में अब तक 139 जानवर आ चुके हैं। हर महीने इनकी संख्या कम ज्यादा होती रही है। ऐसे में सरकार से निर्धारित 30 रुपये में पशुओं को राशन दिया जाता रहा है, लेकिन उसका भुगतान भी आज तक नहीं हुआ है।
ट्रस्ट की ओर से देखरेख करने वाले डॉ. सागर सिंह ने बताया कि, सामान्यत: प्रति पशु पर एक दिन में 100 रुपये खर्च होता है। इसके लिए हम लोगों ने नगर पालिका को लिखकर दिया भी है, लेकिन एक भी रुपये का बजट नहीं मिला है। ऐसे में गौशाला संचालन में काफी दिक्कतें आ रहीं हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में संस्थान की ओर से करीब 46 गौशालाओं का संचालन किया जाता है।
अब तक 71 लाख के घाटे में
डॉ. सागर सिंह के अनुसार, गौशाला में रहने वाले पशुओं के खर्च में अब तक 71 लाख से ज्यादा रुपये खर्च हुए हैं। नगर पालिका से बजट मिलने का आश्वासन तो मिला, लेकिन बजट छोड़कर केवल आश्वासन ही मिलता रहा। इतना ही नहीं यहां पर फिलहाल आय के स्रोत भी नहीं है, जिससे गौशाला का संचालन किया जा सके।
नौ गौ सेवक करते हैं देखभाल
करीब डेढ़ सौ गौ वंश के लिए यहां पर नौ गौ सेवकों को रखा गया है। इनमें अर्चना, रामा, अल्पना, सावित्री, इंद्राणी, शांति सहित अन्य लोग शामिल हैं। इन सभी को सात से आठ हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। भेजे गए बजट में इसका भी उल्लेख किया गया है।
“हम लोग गौशाला को आदर्श गौशाला बनाना चाहते हैं, लेकिन सहयोग न मिलने के कारण बड़ी कठिनाई आ रही है। हर चीज की एक समय सीमा होती है। नगर पालिका ने हमसे जो वादा किया, वह पूरा नहीं हो पा रहा है। यदि बजट आवंटन न हुआ तो हमें इस गौशाला को छोड़ना पड़ेगा।”
डॉ. सुनील आर्या, महासचिव, वैदिक विद्या ट्रस्ट, फतेहपुर